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• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
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'क्या कहते हो ? आज रात मैंने सपने में करमशीमामा को गिरिराज पर
आदीश्वर दादा की पूजा करते देखा । "
उन कुदरती संकेतों से हमारे परिवार की श्रद्धा बढ़ी। यही मार्ग जीवन में अपनाने जैसा है, ऐसा लगता रहता है।
नवकार मंत्र के प्रभाव से सभी को मृत्यु के समय ऐसी मंगलमय समाधि प्राप्त हो, यही प्रार्थना ।
लेखक - श्री कांतिलाल भाई करमशी विजपार जस्मिन स्टोर्स, डॉ. आम्बेडकर रोड़, परेल, मुम्बई- 12 फोन नं.- 4131306
महामंत्र की महिमा
मैं सं. 2035, सन् 1980 भादरवा सुदि चौदस (अनंत चौदस ) को सुरत से जंबुसर एक प्रोफेसर मित्र के साथ वापिस आ रहा था। मेरी रेलगाड़ी में बैठकर सुरत से भरूच आने की भावना थी । वहाँ स्टेशन मार्ग की ओर ट्राफिक जाम होने से, एक एस. टी. बस खड़ी रही। हमें उसमें बैठकर जाने का मौका मिला। हम सबसे पीछे बैठे थे। हम दोनों बैठने के बाद खड़े होकर सबसे आगे ड्राइवर की सीट के पीछे के भाग में खाली जगह होने के कारण वहाँ जाकर बैठे। कुछ चैन नहीं पड़ा ।
नवकार मन में रमता था । वहाँ अन्दर से आवाज आयी । "उतर जाओ'", पीछे जो बस आ रही है, उसमें बैठ जाओ।" मन नहीं माना। फिर से आवाज आयी, "पीछे के भाग में चला जा ।" चलती बस में साथ के भाई को खड़ा कर वापिस बस की पीछे की सीट पर जाकर बैठे। बस के अन्दर के यात्रियों को आश्चर्य हुआ। बस हाइवे पर पूरे जोश से जा रही थी।
मेरे अंदर से तो एक ही आवाज बार-बार आ रही थी । " उतर जा, पीछे आ रही बस में बैठ जा ।" परन्तु होनहार होता ही है। उसे कौन मिथ्या कर सका है? समय का भान नहीं रहा। नवकार का स्मरण हृदय
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