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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार?
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नवकार ने इज्जत बचाई (यहां पेश किये गये 6 दृष्टांत "नवकार मंत्र ना चमत्कारो" में से साभार उद्धृत किये गये हैं- संपादक)
मुम्बई के अमीर परिवार की एक बहिन अपने किसी संबंधी के वहाँ राजकोट में प्रसंग निपटने के बाद एक दो दिन में जाने की तैयारी कर रही थी, वहीं तो मुम्बई से अचानक फोन आया कि तुम तुरंत आ जाओ, गाड़ी भेजी है। |.. शाम को गाड़ी लेने के लिए आ गई, किंतु साथ में कोई व्यक्ति नहीं था। उस बहिन ने पूछा -"क्यों कोई आया नहीं?" ड्राइवर ने कहा-"कोई आ सके, वैसा नहीं था। इसलिए सेठ ने मुझे अकेला भेजा है। आपको अभी चलना है। प्रातःकाल से पहले मुंबई पहुँचना है।।
वह बहिन थोड़ी हिचकिचायी, किंतु ड्राइवर घर का विश्वासपात्र एवं वफादार था, इसलिए वैसे मन में कोई डर नहीं था। फिर भी युवावस्था और अद्भुत रूप इन दोनों के साथ राजकोट से मुंबई तक की यात्रा रात्रि के समय में और वह भी अकेले युवान ड्राइवर के साथ, यह थोड़ा लोकहंसी का विषय बनता ही है। इसलिए अपनी सखी को साथ ले लिया। इस प्रकार दोनों बहिनों को गाड़ी में पीछे की सीट पर बिठाकर दरवाजा बन्द करके ड्राइवर ने गाड़ी मुम्बई की ओर रवाना कर दी।
वह राजकोट से काफी आगे निकल गये। फिर रात में एक गांव से थोड़े दूर ही थे। और इन दोनों बहिनों को लघुशंका होने के कारण उन्होंने ड्राइवर को गाड़ी रोकने को कहा। - ड्राइवर ने कहा-"सेठानी माँ! थोड़ी ही दूरी पर गांव है। वहाँ जाकर शंका निपटाना।" किंतु वह बहिन रोकने की स्थिति में नहीं थी इसलिए गाड़ी खड़ी की।
दोनों बहिनें गाड़ी में से नीचे उतरी। सामने की साइड में लघुशंका |निपटाकर वापिस गाड़ी में बैठने की तैयारी कर रही थी, वहीं तो अचानक
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