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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - गहरा तनाव चालु था और साथ नोर्थोड्रोमस ने की हुई भविष्यवाणी के मुताबिक दुनिया में होने वाले प्रलय की बातें-अफवाहें भी चल रही थीं। मन-मगज में भी ऐसे ही विचारों ने प्रभाव डाला था इसलिये धूम-धूड़ाके की आवाज के साथ ही ध्यान तो भंग हो गया किन्तु मन भी चौंक गया।
अचानक देखता हूँ तो आंखों के सामने उपाश्रय की छत से कुछ मिट्टी, रज और पत्थर गिरने चालु हो गये। गबराहट में न जाने मन का तनाव तेज हो गया। पाकिस्तान द्वारा अणुशस्त्र प्रयोग विचार भी कल्पना बन आ गये। फिर भी ऐसी भयानक और कुछ अंधकार-उजाले की दुर्घटना के वक्त भी देव-गुरु की कृपा, संयम साधना की सतर्कता और गृहस्थावस्था से ही नमस्कार महामंत्र की संकल्प-साधना के प्रभाव-प्रताप से आँखों के सामने मौत की परछाई-सा डरावना दृश्य देख मुख में नवकार महामंत्र आ गया।
उपाश्रय में मेरे अलावा उस सयम और कोई न था, और संपूर्ण उपाश्रय का गोरखा भी नीचे था। पाठशाला के शिक्षक भी सुबह-सुबह दर्शन हेतु बाहर गये थे। ऐसी स्थिति में परिस्थिति के मुताबिक मैंने सिर्फ | एक ही नवकार का प्रकट जाप सहज भयावस्था में कर लिया, और संथारा छोड़ कर जोरों से प्रवेशद्वार की ओर भागा। दरवाजे को खोलकर जैसे ही बाहर निकल कर जान बचाने नीचे सीढ़ी उतर गया उतने में ही बहुत बड़े धमाके के साथ उपाश्रय की बड़ी गेलेरी में बनाए गए स्टील के कठहरे और प्लास्टर ऑफ पेरिस की सिलिंग जिसको एल्युमिनियम के छड़ों से जोड़ा गया था, वह सारी-की सारी सिलिंग और गेलेरी की रीलिंग एक साथ उपाश्रय में आ गिरी। __में तो बाल-बाल बच गया, किन्तु इस घटना के साथ जो जो आश्चर्यप्रद बातें जुड़ी हैं उसे सभी की धर्मश्रद्धा बढ़े इसलिए संक्षिप्त भाषा में प्रस्तुत करने की लालच रोक नहीं सकता हूँ।
जिस स्थान पर उपाश्रय का ढांचा उतरकर टूट गया, उसी जगह पर में अपने अगले वक्त की स्थिरता के दौरान रात्रि को संथारा करता था।
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