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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? -
मन्त्र नवकार को सतत नमस्कार |
जो कार्य आयास बिना ही उत्पन्न हो जाये उसे अनायास कहते हैं। अकस्मात् भी अनायास होता है। वैसी आकस्मिक घटनाओं में उल्लेखनीय प्रस्तुत प्रसंग जीवन का सत्य प्रसंग है। प्रस्तुति का सार यही है कि नमस्कार महामंत्र में जो अचिंत्य शक्ति है, उसकी अभिव्यक्ति अनेक ग्रन्थों में तो है, किन्तु स्वानुभव की प्रतीति इन सभी अभिव्यक्तियों से आगे निकल जाती है। __सांसारिक अवस्था में व्यावसायिक और व्यावहारिक कार्यों से प्लेन में ही आकाशी सफर करने का 202 बार मौका आया। किन्तु आसाम की राजधानी गोहाटी से कलकत्ता की हवाई जहाजी सफर स्मरणीय बन गयी है। SAFARI Co. के INTERNAL AUDIT को पूर्ण कर बम्बई जाने के लिए कलकत्ता की FLIGHT दिनांक 11.1.1989 बुधवार को लेने AIR PORT पहुंचा।ठीक 4-30 शाम का प्लेन था और आगे कलकत्ता से मुम्बई का प्लेन रात 8-30 बजे का था। किशोर अवस्था से ही नवकार जाप की रुचि और अभ्यास के कारण ऐसा नियम बनाया था कि जब भी सफर करना हो प्लेन में प्रवेश करते ही 12 नवकार का जाप TAKE OFF के समय और LANDING के वक्त भी 12 नवकार का जाप आवश्यक रूप से करना।
वर्षा ऋतु और पूर्वभागीय क्षेत्र के कारण संध्या गाढ बनी थी, और कुछ-कुछ अन्धकार शाम को 4-30 के बाद महसूस होता था। उस BOING PLANE में कुल 93 मुसाफिर में से मैंने पिछले हिस्से की खिड़की का स्थान ग्रहण किया। AIR HOSTESS के ANOUNCEMENT के बाद कमर पर बेल्ट लगा लिये और नियत समय पर PLANE ने उड़ान की तैयारी की। RUNWAY के एक छोर पर पहुंचकर PILOT ने प्लेन को मोड़ा और अब TAKE OFF के हेतु रफ्तार ग्रहर कर प्लेन |RUN WAY पर दौड़ने लगा। करीब 175 कि.मी. प्रति घन्टा की रफ्तार
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