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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? समझाते, तब मैं कहता कि, पिताजी, आप मुझे चमत्कार बताओ, तो मैं मानूं।"
"मेरे पिताजी गंभीरता से उत्तर देते कि, "बेटा, अन्तःकरण की स्वच्छता और दुनिया से अलिप्त मन रखकर प्रभु का स्मरण करने से वे अवश्य प्राप्त होते हैं।"
मैं उनकी बात हंसकर टाल देता, पिताजी अत्यंत दुःखी होते थे।
एक बार आप जब खंभात में विराजमान थे और व्याख्यान दे रहे थे, तब अपने नास्तिक मित्रों के साथ मैं आ पहुँचा, उस समय आप नवकार महामंत्र संबंधी बात कर रहे थे। आपने कहा था -
"नमस्कार पुण्य रूपी शरीर को उत्पन्न करने वाली माता है। जीव रूपी हंस के लिए विश्रांति का स्थान नवकार है।"
."श्री नवकार मंत्र का जाप करने से आत्मा के शुभ कर्म का आश्रव (आगमन) होता है, अशुभ कर्मों का संवर (रोक) होता है, पूर्व कर्म की निर्जरा (नाश) होती है, बोधि सुलभ होती है, लोकस्वरूप का ज्ञान होता है, और सर्वज्ञं कथित धर्म की प्राप्ति कराने वाले पुण्यानुबंधी पुण्यकर्म का उपार्जन होता है।"
"साधक को यह श्रद्धा रखनी चाहिये कि मेरे उद्देश्य की पूर्ति इसी जाप के प्रभाव से ही होगी।"
में आपकी बात सुनकर बहुत हँसा और जावा बंदरगाह व्यापार के लिए रवाना हो गया। यह बात तो विस्मृत हो गई। ___मैंने जावा से बहुत माल हिंद के लिए भरा। हमारी सफल यात्रा बिना किसी विघ्न के चल रही थी। खंभात बंदरगाह आंख की पलक | जितना दूर था और हमारे जहाज तूफान में फंस गये। किनारे आई नौका
जैसे बीच समुद्र में चली गई। हमें ख्याल भी नहीं था कि, अचानक ऐसा होगा। हमारे जहाज मीलों दूर समुद्र में चले गये।
तूफान के झोंके हमारे मजबूत जहाजों पर हमला करने लगे। हमने |
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