________________
• जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
कितने ही दुःखियों के दुःख क्षण भर में नष्ट हो गये, कई जीवों का जीवन आबाद हो गया। श्रीपाल, चंदराजा वगैरह सैंकड़ों उदाहरण मिलेंगे। इन सभी ने भवसागर के नाविक के रूप में नवकार मंत्र का सहारा लिया था।
यह तो हुई केवल भूतकाल की बात । परन्तु आज के पंचमकाल के अणु-युग में भी नवकार मंत्र का प्रभाव अभी भी उतना ही फैल रहा है। काल के अनेक थपेड़ों के बावजूद भी उसके प्रभाव में, उसकी अमोघ शक्ति में तिल मात्र की भी कमी नहीं हुई, यह कोई महामंत्र का कम प्रभाव है? काल के थपेड़ों के बावजूद कई युगों के बाद भी नमस्कार महामंत्र - महामंत्र ही रहा है।
आज के समय का ही एक दृष्टांत, यह बात सिद्ध कर देगा। छोटी उम्र से ही मुझे नवकार के प्रति श्रद्धा थी। ई.स. 1962 की बात है। मेरे शरीर पर दिसंबर की शुरूआत में किसी रोग के चिह्न दिखाई दिये। मैंने शुरूआत में तो विशेष ध्यान नहीं दिया। परन्तु 15 दिसम्बर के लगभग एक महिला स्त्री डॉक्टर से मिलने पर उसने बताया कि तुम्हारे शरीर में कैंसर है और तुरंत अहमदाबाद जाने की सलाह दी। लगभग एक सप्ताह बाद हमने अहमदाबाद की ओर प्रयाण किया। उस दौरान निरंतर नवकार मंत्र का जाप चालु ही था । अहर्निश उसका ही रटन करती थी। संयोग से कहो या नमस्कार महामंत्र के प्रभाव से कहो मगर अहमदाबाद के वाडीभाई साराभाई अस्पताल के स्पेशियल कमरे में सुविधा मिल गई। ख्याति प्राप्त स्त्री डॉक्टर मिस पंड्या की देखरेख मिली। यह सभी समयानुसार ही मिल गया। यह प्रभाव नवकार मंत्र का ही! दूसरे शब्दों में कहूं तो श्रद्धा मुझे यहां खींच लाई । मेरे जीवन का सुकान आकस्मिक रूप से ही कुशल सुकानी के हाथ में चला गया ।
मैंने अस्पताल में आने के बाद भी निरंतर मंत्र का जाप चालु ही रखा । मेरी दवाइयों एवं डॉक्टरों से कई गुना ज्यादा श्रद्धा नवकार मंत्र में थी। मुझे श्रद्धा के अटूट धागे से ही रोग की जानकारी जल्दी प्राप्त हो सकी, ऐसा मेरा अंतःकरण मानता है। मुझे कोबाल्ट के सेक देने शुरू
181