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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? प्रवाह में बहकर कच्छ के छोटे रण में पहुंच गया था और पास के मालिआ गांव के लोगों ने उसे बचा लिया था।
जहां क्षण भर में ही हजारों लोग प्राणमुक्त हो गये थे, वहाँ 11 दिन के बाद भी बच जाना कोई सामान्य घटना नहीं कही जा सकती थी!
लेखक - "मुनीन्द्र" महाप्रतापी श्री नवकार [ श्री नवकार महामंत्र का प्रभाव वर्णनातीत है। अटल श्रद्धा से इसका स्मरण किया जाए तो हलाहल कलियुग में भी वह मनोवांछित पूर्ण करता है। मेरे जीवन में भी ऐसे प्रसंग अनेक बार बने हैं। प्रत्येक घटना ने मेरी श्रद्धा को बढ़ाने का कार्य किया है। सभी घटनाएं याद करके नहीं लिख सकता हूँ। फिर भी कुछ महत्त्व की घटनाएं इस प्रकार हैंतन के रोगों को हरण करने वाला श्री नवकार
गृहस्थावस्था में बालवय में मेहसाणा की श्रीमद् यशोविजयजी जैन पाठशाला में अध्ययन हेतु रुका हुआ था। उस दौरान मैं बीमार पड़ा। डॉक्टरों के उपचार प्रारंभ किये, खाना बंद हो गया। डॉक्टरों ने क्षय रोग (T.B.) का निदान किया। फ्रूट और दूध के ऊपर जीवन टिका के रखना था। सगे संबंधी चिंता में पड़ गये। डॉक्टरों ने तो उन्हें खुला कह दिया कि "केस खत्म है।" सुधरने की आशा नहीं है। यह समाचार फैलते हुए मेरे पास आये।
क्षणभर आश्चर्य लगा,"क्या मैं मर जाऊँगा? नहीं, मुझे इस प्रकार नहीं मरना है, तो फिर क्या किया जा सकता था? डॉक्टर तो निरूपाय थे।" किंतु उसी समय श्रीनवकार, हदय में आया। श्री नवकार की शरणागति स्वीकारी। जीवन नवकार के चरणों में धर दिया। दवा छोड़ दी। | रात-दिन श्रीनवकार का जाप चालु किया। साथ में अनाथीमुनि की तरह संकल्प किया कि, "यदि इससे मैं बच गया तो जल्दी ही चारित्र लूंगा।
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