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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - कहता हूं। उसके बाद उनको दूध,चाय, पानी, शक्कर खिलाता हूं और मैं होंठ हिलाये बिना मन में नवकार गिनता हूँ। उससे लोगों को बहुत जल्दी आराम होता है।
(2) आधा माथा दर्द करता हो (चाहे जितना पुराना हो) तो निश्चित रग (नाड़) दबाकर यह मंत्र चालु करता हूँ। जिससे तीन चार दिन में, किसी बार 1-1 दिन में आराम प्राप्त कर वापिस पांच वर्ष तक दर्द नहीं होता है।
बोलो साहेबजी! ऐसे मंत्र पर मुझे श्रद्धा कैसे न हो? आशीर्वाद तो आपका ही है न?
(3) सिर दर्द हो तो 7 दिन करता हैं। (4) बुखार हो तो 3 दिन करता हूँ।
(5) नजर भी लाफा लेकर तुरंत उतारता हूँ। परन्तु मंगल एवं शनिवार यह बहुत जोश वाले दिन सिद्ध होते हैं।
साहेब! मैं एक पाई (पैसा) किसी से लेता नहीं हूं। और उस आदमी का या मेरे अपने आदमी के हाथ का भी प्रेम से दिया हुआ भी उस समय खाता या पीता भी नहीं हूँ। किसी भी दिन कोई खाने पर बुलाये तो साफ मना कर देता हूँ। गुस्सा आये तो माफी चाहता हूँ। किन्तु मैं उस पर कुछ भी स्वार्थ रखे बिना अचल श्रद्धा के साथ मंत्र मनन करता हूँ। बोलो तो साहेब। यह बात आप जानते हो? मैने यह मंत्र जाप कर अपने कठिन दिन भी संतोष के साथ व्यतीत कर धीरज से बिताये हैं। जो अभी के मेरे धंधे के बारे में बुरा भला कहते हैं, उन्हें कुछ भी जवाब नहीं देता, उन्हें मैं आशीर्वाद देता हूँ कि वे लोग सही बोलें। यदि में ऐसे नहीं करूं तो मेरी की हुई मेहनत पानी में मिल जाये और मैं वैसा का वैसा नादान रहूँ और अज्ञानी कहलाऊँ। मैं तो मेरा जीवन कैसे अच्छा बने उसकी कोशिस करता हूँ।
यद्यपि मेरे से हजारों पाप होते होंगे उससे मैं पापी तो कहलाऊंगा ही, क्योंकि मेरे विचार तो अच्छे और बुरे रहते ही होंगे। साहेब पत्र पूरा
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