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-जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? पधारे थे? उनका नाम क्या था? वह पूरी जानकारी के साथ मुझे पत्र लिखना।"
___ तुरंत ही पत्र का प्रत्युत्तर आया कि, "तुम्हारे साले को अंतिम आराधना करवाने गुरु-महाराज पधारे थे। उनका पावन नाम पू. आचार्य देव श्रीमद् विजयलक्ष्मणसूरीश्वरजी महाराज था। वे खीमेल से विहार कर गुजरात की तरफ पधार रहे थे और एक दिन के लिए यहां रुके थे, तब उन्होंने उसी दिन यहां तुम्हारे साले को अंतिम आराधना करवाई एवं नवकार मंत्र सुनाये थे।"
पत्र पढ़ते ही बहनोई को वस्तुस्थिति की सत्यता समझ में आ गयी। अहो! नवकार मंत्र का कैसा अजीब प्रभाव है! वास्तव में ऐसा अच्छा महामंत्र मिलने के साथ भी हम प्रमादी बनते हैं। श्रद्धा एवं विश्वास नहीं रखते हैं। बस उसी ही दिन बहनोई के हदय में भारी परिवर्तन आया। यह भाई कोई जैसे-तैसे आदमी नहीं हैं, एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। उन्होंने खुद ने मुझे हकीकत सुनाई थी, जिसे मैंने अक्षर रूप दिया है।
नवकार मंत्र का प्रभाव दर्शाने वाले भूतकाल के कई दृष्टान्त हमने सुने हैं, किन्तु वर्तमान काल में भी चमत्कार दिखाने वाली घटनाएं एवं |वैसी हकीकतें प्रकाशित होती रहती हैं।
नवकार मंत्र का प्रभाव और उसकी महिमा का वर्णन करने बैठ जायें तो पुस्तकें ही पुस्तकें लिख दें, फिर भी इसकी महिमा नहीं गायी जा सकती है। नवकार मंत्र की महिमा गाना अपनी शक्ति के बाहर की बात है। हमें नियमित रूप से प्रातः काल में पवित्र बनकर शुद्ध मन से नवकार मंत्र का ध्यान करना चाहिये। जिससे अपना दिन मंगलमय बीते, जन्म-जन्म के पाप दूर होकर आत्मा पवित्र बने।
"यह तो हमारे लड़के भी जानते हैं।"
यह एक सत्य घटना है। इस बात को अभी तक 60 वर्ष भी नहीं
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