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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - मुसलमान को यह खबर न थी कि वह कारनामा भाई साहब का ही था। उस दुष्ट मुसलमान ने सच्चाई उगली, तब इस श्रद्धालु मुसलमान को पता चला कि मेरे बिस्तर के नीचे सांप रखने वाले यही भाई थे। माफी मांगने के बाद टूटे-फूटे शब्दों में वह दुष्ट मुसलमान बोला, "बचाओ, बचाओ, | |मेरी प्यारी पुत्री के प्राण बचाओ!"
"क्यों, क्या हुआ?" श्रद्धालु मुसलमान ने पूछा?
"मेरी पुत्री को सांप ने डंक मारा है और वह बेहोश हो गई है।। सभी उपाय आजमाए, किन्तु सभी निष्फल गये हैं-'" उसने जवाब दिया। श्रद्धालु मुसलमान बोला कि "मैं कोई मंत्रवादी थोड़े ही हूँ?"
उसने कहा कि "भले ही आप मंत्रवादी न हों, किन्तु मुझे विश्वास है, कि आप ही बचा सकेगें।"
"तो ठीक है चलो, दूसरे के प्राण मेरे से बचते हों तो मैं तैयार हूँ।" ___ कितनी भलाई की भावना! अपने प्राण लेने के लिए तैयार होने वाले, अपना बुरा करने वाले का भी कल्याण हो, ऐसी इस श्रद्धालु मुसलमान की भावना थी। वह तुरंत उठा और मुसलमान के साथ चल पड़ा। लड़की के होश-हवास उड़ गये थे। मंत्रवादियों ने हाथ झिड़क दिये थे। बचाव का कोई उपाय नहीं था।
ऐसी विकट स्थिति में उस श्रद्धालु मुसलमान ने नवकार पढ़कर उसके ऊपर पानी छिड़का, वहां अजीब चमत्कार खड़ा हो गया। जहर उतर गया। जैसे नया जन्म लिया हो उस प्रकार शैय्या पर से उसकी पुत्री उठकर बैठ गई। सभी हर्षातुर बनकर उस श्रद्धालु मुसलमान पर फिदा हो गये। सभी के मुंह से सहजता से निकल गया कि, "कैसी परोपकार परायणता? कैसी मंत्र शक्ति? धन्य है, धन्य है!"
एक अपराधी पर भी रहम नजर रखना कोई जैसी-तैसी बात नहीं थी। ऐसी आत्माएं जगत् में बहुत विरल ही होती हैं।
नवकार मंत्र अनादिकालीन है, इसका प्रभाव अजीब है। शास्त्रों में
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