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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ?
चीखें सुनाई दीं। प्रिन्सिपल साहब स्वयं शिला पर गये एवं जोर से आवाज की। उतने में तो चेतनहीन लड़के नजदीक आये और चिल्लाये कि, 'हमें तत्काल पानी दो, हम प्यास से पीड़ित हो रहे हैं।' 'अरे भाइयों! तुम अब एक घंटा धीरज रखो, तुम्हें बचाने के लिए ठेठ अरोड़ी तथा राधनपुर से लोग आये हैं।' पीयूष के कुटुम्ब को पता लगा कि लड़के जीवित हैं, उससे उसके कुटुम्ब में नये प्राणों का संचार हुआ। अन्दर के लड़कों के दूर हटते ही गुफा तोड़ने का कार्य शुरु किया । एक ही घण्टे में दो फीट चौड़ा दीर्घ खड्डा हो गया। नीचे बीस फीट की कई रस्सियां डालकर विद्यार्थियों को एक के बाद एक निकाला। अन्त में आचार्य साहब बाहर आये और प्रेम से सगे भाई की तरह सबसे मिले। सभी लोग ट्रक में अरोड़ी गांव की ओर गये। दो घंटे में अरोड़ी गांव पहुंच गये। पूरा गांव हर्ष के हिलोरे लेने लगा और सर्वत्र आनन्द छा गया। तेज के पूंज समान प्रिन्सिपल साहब ने अपने विद्यार्थियों एवं आगेवानों के साथ राधनपुर का रास्ता काटना शुरु किया ।
अरोड़ी, राधनपुर, तथा पास के गांवों में विद्यार्थियों को कुदरती कैसे सहारा मिला, किसने मार्गदर्शन दिया, इसकी चर्चा कई दिनों तक होने लगी। पीयूष एवं प्रिन्सिपल जे. जे. साहब को दर्शन देने वाले स्वयं म...हा... वी... र थे। उन्होंने जगत् के समक्ष सन्देश दिया कि नवकार मंत्र की शक्ति कितनी प्रबल है तथा खुद का किया हुआ धार्मिक कार्य किसी दिन निष्फल नहीं जाता है। केवल विश्वास एवं समय की आवश्यकता होती है। सर्वत्र महावीर का जय-जयकार बोला गया।
लेखक
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एम.एस. पाटड़िया
तिर्यंच को तारने वाला नवकार
(गाय मरकर देवी बनी!)
संवत् 2028 में जबलपुर में घटित यह घटना है। दोपहर डेढ़ बजे मेरे घर के परिसर में एक अनजान गाय बीमार होकर गिरी । मैंने उसे घास
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