________________
जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? से कुदालें, घण आदि ले जाकर दरार के पास से तोड़ना प्रारंभ करना क्योंकि वहां से पत्थर कमजोर हो गया है, जिससे दो तीन घंटों में बड़ा छेद हो जायेगा। उसमें रस्सी डालकर प्रत्येक को बाहर खींच लेना। सन्देश सुना न?" और "जय जिनेन्द्र" कहकर स्वप्न एकदम बन्द हुआ। घड़ी में देखा तो पोने पांच बजे थे।
प्रिन्सिपल साहब तुरन्त ही क्वाटर पास होने के कारण कॉलेज गये और चौकीदार और गार्ड को जगाकर दस विद्यार्थियों के नाम बताकर उन्हें बुलाकर लाने के लिए कहा। आधे घंटे में विद्यार्थी तथा गांव के दस मख्य लोग आये। दसों विद्यार्थियों से दूसरे विद्यार्थियों को बुलवाने का निर्देश दिया और खुदाई के साधन मंगवाये। पांच मालवाहक ट्रकें तथा कॉलेज की गाड़ी तथा दस आगेवान एवं विद्यार्थियों के साथ वे अरोड़ी गांव जाने के लिए रवाना हुए। एक घंटे में अरोड़ी गांव पहुंच गये। प्रवास की जानकारी प्राप्त करते हुए जानने को मिला कि दो शिक्षक, आचार्य श्री तथा सौ विद्यार्थी शंखलपुर की गुफाएं देखने गये थे,जो अभी तक वापिस नहीं आये। उन्होंने अपने को आये स्वप्न की जानकारी दी। तुरन्त अरोड़ी गावं में से श्री हेमचन्दभाई का पूरा कुटुम्ब तथा इस गांव के सौ लोग जरुरी अतिरिक्त साधन सामग्री के साथ प्रिन्सिपल साहब की टुकड़ी के साथ शंखलपुर की राह पर गये। ठीक ग्यारह बजे पूरा काफिला शंखलपुर की गुफाओं के पास पहुंच गया। प्रिन्सिपल साहब बारिकी से निरीक्षण करते हुए गुफा के द्वार को बन्द करने वाली शिला पर तुरन्त अक्षर पढ़ने लगे, 'म...हा...वी...र'। और उन्होंने कहा, 'ग्रामजनो एवं विद्यार्थियों! आपको इस शिला पर चढ़ना होगा। वहां से चट्टान तोड़ना शुरु करना होगा। बाहर एवं अन्दर के जीवों को चोट नहीं लगे इसका सम्पूर्ण ध्यान रखना। पूरे समुदाय ने महावीर का जय जयकार करके निरन्तर घणों के प्रहार व लोहे की कोस से पत्थर तोड़ने का कार्य शुरु किया। एक घन्टे की मेहनत के बाद दीर्घ पट्टी में आधे फुट की शिला तोड़ी। उतने में नवकार मंत्र का जाप सुनाई दिया। शोर, आवाजें, बचाओ, बचाओ की
133
.