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- जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? जिससे हम उसका भावार्थ कुछ समझ सकते थे। हमने उसकी सम्मति प्राप्त कर उसे हिन्दी भाषा में कई प्रश्न पूछे, जिसके उसने अपनी भाषा में संतोष जनक जवाब दिये। वह भी 20 मिनट के बाद चलता बना और वह भाई अपने असली स्वरूप में आ गये।
नवकार के शब्दों के रटन में इतनी शक्ति विद्यमान है, तो विधि पूर्वक नवकार साधना में कितनी ताकत हो सकती है? इत्यादि विचार करते हुए हमारा अन्तःकरण नवकार को अहोभाव पूर्वक नमस्कार कर रहा था।
लेखक - प.पू. गणिवर्य श्री महोदयसागरजी म.सा.
"जीवन साथी नवकार को नहीं ही छोडूंगी।
हमारे परम उपकारी गुरुदेव सा. श्री वसंतप्रभाश्रीजी म.सा. को नवकार महामन्त्र की साधना करते हुए अनेक विशिष्ट अनुभव हुए हैं। उनमें से तीन अनुभव यहां प्रस्तुत कर रही हूँ, जो पढकर एकाध आत्मा भी नवकार महामन्त्र की आराधना में जुड़ेगा तो मैं अपना प्रयास सफल मानूंगी।
. "देवी उपसर्ग में अडिगता" वर्षों पूर्व जब पू. गुरुवर्या श्री ने श्री नवकार महामन्त्र का विधिवत् नियमित जाप शुरु किया था, उसके कुछ दिन बाद ही उन्हें विविध प्रकार के उपद्रव होने लगे। कभी आन्तरिक तो कभी बाह्य उपद्रव लगातार तीन वर्ष तक चले। उन्हें कभी तो जाप करने में एक दो महिने तक बिल्कुल भाव नहीं जगते, आलस्य आने लगता, फिर भी दृढ़ निश्चयी गुरुवर्या ने जाप चालु ही रखा। तय किया हुआ जाप जब तक पूरा नहीं होता तब तक मुँह में पानी भी नहीं डालने का उनका संकल्प था।
. एक बार तीन वर्ष बाद वे मांडवी (कच्छ) में विराजमान थीं, तब तीन दिन तक रात के समय ब्रह्मांड फट जाए ऐसी भयंकर आवाजें सुनाई देतीं। उन्होंने चौथी रात सोने का स्थान बदल दिया तो भी पहले से ज्यादा
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