________________
जिसमें शास्त्रीय प्रमाण के आधार पर महत्त्वपूर्ण "अजपाजाप" मानस जाप करो तो कार्य हो जावेगा। श्री विवेचन किया है। इस पूरी पुस्तक को मात्र ३ दिन की मास्टर सा. ने एसा ही किया और उन्हे आर्थिक संकट से अल्पावधि में लिख दिया था। यह भी महामंत्र का ही मुक्ति मील गई। प्रभाव जानना चाहिये।
(१०) वि. सं. २०३५ में अहमदाबाद निवासी (६) पूज्य उपकारी गुरुदेव के पास जो भी बाबुभाई मंगलदास शेठ ने एक दिन पूज्य गुरुदेव से श्रद्धालु अपनी समस्या लाते थे या दुःख निवारण की कहा कि, साहेब, मने आशीर्वाद आपो। तब उपकारी बात करते थे तो गुरुदेव नमस्कार महामंत्र पर ऐसा करूणा निधान ने कहा कि 'तमारी सेवा जरूर फलसे। प्रयोग बताते थे कि स्वप्न में संकेत होगा या किस नवकार मंत्र उपर पर सफेद वर्ण थी आ मंत्र -- अवधि तक में काम होगा आदि मन मनोरथ पूरक बातें __गणो।' वास्तव में बाबुभाई का एक अटका हुआ कार्य बता देते थे और जाप करके खीर का एकासना करने हो गया था। का उपदेश देते थे।
(११) अन्धकार में प्रकाश, दुःख में सुख, (७) पूज्य उपकारी गुरुदेव रवि पुष्य और गुरु समस्या में समाधान, मृत्यु में जीवन प्रदान करने पुष्यमें खड़े खड़े ध्यान करके महामंत्र का प्रयोग भी __ की अनेकों घटनाएँ श्री नवकार मंत्र में अद्भुत शक्ति करते थे। जिससे आसुरी शक्ति के प्रकोप से मुक्त __ स्वतः समाविष्ट हैं। एक अद्भुत प्रसंगकरके अनेकों को जीवन दान भी दिया।
वि. सं. २०३२ जोधपुर, कापरड़ाजी, अजमेर, (८) वि. सं. २०३३ में राजेन्द्र सूरि ज्ञान मंदिर जयपुर, भरतपुर, आगरा फिरोजाबाद विचरण करते में पूज्य उपकारी गुरुदेव चातुर्मास कर रहे थे।
हुए भीलवाड़ा, चितोड़गढ़, निम्बाहेड़ा, नीमच हो कर भाद्रव वदि के किन्हीं दिनों में भीनमाल निवासी जेठ वदी ९ मंगलवार दिनांक ३-६-१९७५ को २८ महेता सुमेरमलजी हस्तीमलजी एकाएक गुरु दर्शनार्थ कि.मी. विहार करके पिपलीया चोराहे पर स्थानाभाव आये तथा वन्दना करने के पश्चात् श्री मेहताजी ने के कारण पूज्य उपकारी गुरुदेव और मैं ठाणा २ एक कहा, 'गुरुदेव! सोने की एक कंठी गुम हो गई है। घर आम वक्ष के नीचे सर्य अस्त होते ही ठहर गये थे। पर खुब खोजा, खुब खोजा परन्तु नहीं मिली है। प्रतिक्रमण आदि क्रिया से निवृत हुए ही थे कि चिन्ता भारी है, क्या करूँ? गुरुदेव ने तत्काल कहा,
एकाएक गगन मण्डल में मेघ गर्जना होने लगी। मेहता, शीघ्र ही अभी ही भीनमाल के लिये रवाना हो
बिजली चारों ओर चमकी। देखते ही देखते तो वर्षा जाओ। महामंत्र को स्मरण करके पुनः खोज बीन घर
मुसलाधार शुरू हो गई। पौन घण्टे में तो घुटने घुटने पर ही करो। कार्य सिद्ध हो जावेगा। वास्तव में
तक जल आ गया। में तो घबरा गया। पूज्य उपकारी गुरुदेव के मार्गदर्शन के अनुसार मेहताजी ने ऐसा
गुरुदेव ने कहा नरेन्द्र! नवकार मंत्र का स्मरण किया तो सोने की कंठी मिल गई थी।
करो। मैं मंत्र का स्मरण करने लगा। वर्षा तो जोरों की (९) वि. सं. २०३४ में राजगढ़ चातुर्मास के थी। हम दोनों इधर उधर अंधेरे मैं पानी से बचने के अन्दर रिंगनोद मध्य प्रदेश निवासी मूलचंदजी लिये प्रयत्नशील थे। कदम कदम संभल कर चल रहे लुणावत पूज्य उपकारी गुरुदेव के पास आये तथा थे। एकाएक मन्दसोर डंबर सड़क पर एक ट्रक आया। वंदना करके कहने लगे, 'महाराज सा. मैं एक अति एकदम लाईट हमारी तरफ फेंका। देखते ही ड्रायवर आर्थिक संकट मैं उलझा हुआ हूँ। कुछ उपाय बताईये। चिल्लाया अरे कौन हो? ठहरो। एक कदम भी आगे तब गुरुदेव ने कहा कि मास्टर! नियमित रूप से श्री पीछे मत चलो वरना मर जाओगे। एका कहते हुए नमस्कार महामंत्र कम से कम एक महिने तक उठते बैठने ड्रायवर ट्रक रोककर भागकर आया और रास्ता बताते सोते जागते चलते फिरते बात करते चोविसों घंटो हुए हमे ले चला तथा उसने कहा अरे महाराज सा.