________________
४५२
उद्देशक २०: सूत्र २३-२५
अहीणमतिरित्तं, तेण सवीसतिरातिया दो मासा।।
परं
____अहीनातिरिक्तम्, तस्मात्
सविंशतिरात्रिको द्वौ मासौ।
निसीहज्झयणं कारणसहित बीसरात्रिकी आरोपणा दी जाए। न्यून-अधिक आरोपणा न दी जाए। उसके बाद पुनः द्वैमासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करने पर बीस रात दो मास की आरोपणा प्राप्त होती है।
२३. दोमासियं परिहारहाणं पट्टविए द्वैमासिकं परिहारस्थानं प्रस्थापितः २३. द्वैमासिक परिहारस्थान में प्रस्थापित
अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं अनगारः अन्तरा द्वैमासिकं परिहारस्थानं अनगार यदि प्रायश्चित्त के मध्य द्वैमासिक पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा ___ प्रतिसेव्य आलोचयेत् अथापरा परिहारस्थान की प्रतिसेवना कर आलोचना वीसतिरातिया आरोवणा आदी विंशतिरात्रिकी आरोपणा करता है, उसे उस काल के आदि, मध्य मज्ञवसाणे सअटुं सहेउं सकारणं ___ आदिमध्यावसाने सार्थं सहेतु सकारणम् अथवा अवसान में अर्थसहित, हेतुसहित, अहीणमतिरित्तं, तेण परं अहीनातिरिक्तम्, तस्मात् परं कारणसहित बीसरात्रिकी आरोपणा दी सवीसतिरातिया दो मासा॥ सविंशतिरात्रिको द्वौ मासौ।
जाए। न्यून-अधिक आरोपणा न दी जाए। उसके बाद पुनः द्वैमासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करने पर बीस रात दो मास की आरोपणा प्राप्त होती है।
२४. मासियं परिहारट्ठाणं पट्टविए मासिकं परिहारस्थानं प्रस्थापितः
अणगारे अंतरा दोमासियं परिहारट्ठाणं अनगारः अन्तरा द्वैमासिकं परिहारस्थानं पडिसेवित्ता आलोएज्जा अहावरा प्रतिसेव्य आलोचयेत् अथापरा वीसतिरातिया आरोवणा आदी विंशतिरात्रिकी
आरोपणा मज्ञवसाणे सअटुं सहेउं सकारणं आदिमध्यावसाने सार्थं सहेतु सकारणम् अहीणमतिरित्तं, तेण परं ___ अहीनातिरिक्तम्, तस्मात् परं सवीसतिरातिया दो मासा॥ सविंशतिरात्रिको द्वौ मासौ।
२४. मासिक परिहारस्थान में प्रस्थापित
अनगार यदि प्रायश्चित्त के मध्य द्वैमासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना कर आलोचना करता है, उसे उस काल के आदि, मध्य अथवा अवसान में अर्थसहित, हेतुसहित, कारणसहित बीसरात्रिकी आरोपणा दी जाए। न्यून-अधिक आरोपणा न दी जाए। उसके बाद पुनः द्वैमासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना करने पर बीस रात दो मास की आरोपणा प्राप्त होती है।
२५. सवीसतिरातियं दोमासियं सविंशतिरात्रिकं द्वैमासिकं परिहारस्थानं
परिहारहाणं पट्टविए अणगारे अंतरा प्रस्थापितः अनगारः अन्तरा द्वैमासिकं दोमासियं परिहारट्ठाणं पडिसेवित्ता परिहारस्थानं प्रतिसेव्य आलोचयेत् आलोएज्जा अहावरा वीसतिरातिया अथापरा विंशतिरात्रिकी आरोपणा आरोवणा आदी मज्झेवसाणे सअटुं आदिमध्यावसाने सार्थं सहेतु सकारणम् सहेउं सकारणं अहीणमतिरित्तं, तेण अहीनातिरिक्तम्, तस्मात् परं परं सदसराया तिण्णि मासा॥ सदशरात्राः त्रयः मासाः।
२५. दो मास बीस रात के परिहारस्थान में प्रस्थापित अनगार यदि प्रायश्चित्त के मध्य द्वैमासिक परिहारस्थान की प्रतिसेवना कर आलोचना करता है, उसे उस काल के आदि, मध्य अथवा अवसान में अर्थसहित, हेतुसहित, कारणसहित बीसरात्रिकी आरोपणा दी जाए। न्यूनअधिक आरोपणा न दी जाए। जिसे संयुक्त करने पर तीन मास दस रात की प्रस्थापना होती है।