________________
अट्ठारसमो उद्देसो : अठारहवां उद्देशक
मूल संस्कृत छाया
हिन्दी अनुवाद णावाविहार-पदं
नौविहार-पदम्
नौकाविहार-पद १. जे भिक्खू अणट्ठाए णावं दुरुहति, यो भिक्षुः अनर्थाय नावम् 'दुरुहति' १. जो भिक्षु बिना प्रयोजन नौका पर आरोहण दुरुहंतं वा सातिज्जति॥
(आरोहति), 'दुरुहंतं' (आरोहन्तं) वा करता है अथवा आरोहण करने वाले का स्वदते।
अनुमोदन करता है।
२.जे भिक्खूणावं किणति, किणावेति, यो भिक्षुः नावं क्रीणाति, क्रापयति, २. जो भिक्षु नौका का क्रय करता है, क्रय
कीयमाहट्ट दिज्जमाणं दुरुहति, क्रीताम् आहृत्य दीयमानां 'दुरुहति' करवाता है, क्रीत लाकर दी जाने वाली दुरुहंतं वा सातिज्जति॥
(आरोहति), 'दुरुहंतं' (आरोहन्तं) वा नौका पर आरोहण करता है अथवा स्वदते।
आरोहण करने वाले का अनुमोदन करता
३. जे भिक्खू णावं पामिच्चति, यो भिक्षुः नावं प्रामित्यति, प्रामित्ययति, ३. जो भिक्षु नौका उधार लेता है, उधार पामिच्चावेति, पामिच्चमाहट्ट प्रामित्याम् आहृत्य दीयमानां 'दुरुहति' लिवाता है, उधार ली हुई लाकर दी जाने दिज्जमाणं दुरुहति, दुरुहंतं वा (आरोहति), 'दुरुहंत' (आरोहन्तं) वा वाली नौका पर आरोहण करता है अथवा सातिज्जति॥ स्वदते।
आरोहण करने वाले का अनुमोदन करता
४. जे भिक्खू णावं परियट्रेति, परियट्टावेति, परियट्टमाहट्ट दिज्जमाणं दुरुहति, दुरुहंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः नावं परिवर्तते, परिवर्तयति, परिवर्तिताम् आहृत्य दीयमानां 'दुरुहति' (आरोहति), 'दुरुहंत' (आरोहन्तं) वा स्वदते।
४. जो भिक्षु नौका का परिवर्तन करता है,
परिवर्तन करवाता है, परिवर्तित की हुई लाकर दी जाने वाली नौका पर आरोहण करता है अथवा आरोहण करने वाले का अनुमोदन करता है।
५.जे भिक्खूणावं अच्छेज्जं अणिसिटुं
अभिहडमाहट्ट दिज्जमाणं दुरुहति, दुरुहंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः नावम् आच्छेद्याम् अनिसृष्टाम् अभिहताम् आहृत्य दीयमानां 'दुरुहति' (आरोहति), 'दुरुहंत' (आरोहन्तं) वा स्वदते।
५. जो भिक्षु छीनकर लाई हुई, अननुज्ञात
अथवा सामने लाकर दी जाने वाली नौका पर आरोहण करता है अथवा आरोहण करने वाले का अनुमोदन करता है।
") वा
६. जे भिक्खू थलाओ णावं जले
ओकसावेति, ओकसावेंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः स्थलात् नावं जले अवकर्षयति, अवकर्षयन्तं वा स्वदते।
६. जो भिक्षु नौका को थल से जल में करवाता
है अथवा जल में करवाने वाले का अनुमोदन करता है।