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पृ. सं.
१०२ १०३
१०४ १०४
१०५
१०६ १०८ १०८
१०८
१०९
१११-११६
१२१
१२१ १२२ १२३
(36) पृ. सं.
पलाश-पद प्रत्यर्पण-पद दीर्घसूत्र-पद दंड-पद नवनिवेश-पद
वीणा-पद ७५ शय्या-पद
संभोजप्रत्ययिक क्रिया-पद धारणीय का परिष्ठापन-पद रजोहरण-पद टिप्पण छठा उद्देशक आमुख विज्ञापन-पद हस्तकर्म-पद अप्रावृत-पद कामकलह-पद लेख-पद पोषान्त-पृष्ठान्त-पद वस्त्र-पद पादपरिकर्म-पद कायपरिकर्म-पद व्रणपरिकर्म-पद गंडादिपरिकर्म-पद कृमि-पद
नखशिखा-पद ८७ दीर्घरोम-पद
दंत-पद
ओष्ठ-पद दीर्घरोम-पद
अक्षिपत्र-पद ९०-९५
अक्षि-पद दीर्घरोम-पद
मलनिर्हरण-पद १०१ शीर्षद्वारिका-पद १०२ प्रणीत-आहार-पद
८१
आत्मीकरण-पद अर्चीकरण-पद अर्थीकरण-पद कृत्स्न-ओषधि-पद विकृति-पद स्थापनाकुल-पद निर्ग्रन्थी के साथ व्यवहार-पद अधिकरण-पद हास्य-पद पार्श्वस्थ आदि का संघाटक-पद इक्कीस हस्त-पद आत्मीकरण-पद अर्चीकरण-पद अर्थीकरण-पद पादपरिकर्म-पद कायपरिकर्म-पद व्रणपरिकर्म-पद गंडादिपरिकर्म-पद कृमि-पद नखशिखा-पद दीर्घरोम-पद दंत-पद
ओष्ठ-पद दीर्घरोम-पद अक्षिपत्र-पद अक्षि-पद दीर्घरोम-पद मल-निर्हरण-पद शीर्षद्वारिका-पद उच्चारप्रस्रवण-पद अपारिहारिक-पद टिप्पण पांचवां उद्देशक आमुख सचित्तवृक्षमूल-पद संघाटी-पद
१२३
१२३ १२४
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