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ग्यारहवें उद्देशक में चातुर्मासिक अनुद्घातिक और बारहवें उद्देशक से उन्नीसवें उद्देशक में चातुर्मासिक उद्घातिक प्रायश्चित्त के योग्य कार्यों का प्रज्ञापन किया गया है।
निशीथचूर्णि के अनुसार प्रस्तुत आगम में अर्थतः कथित प्रायश्चित्तों की संख्या अपरिमित है। सूत्रतः प्रायश्चित्तों की संख्या भाष्य एवं चूर्णि में इस प्रकार मिलती है
१. उद्घातिक मासिक-प्रथम उद्देशक-२५२ २. अनुद्घातिक मासिक-तृतीय यावत् पंचम उद्देशक ३३२ कुल मासिक प्रायश्चित्त-५८४ ३. अनुद्घातिक चातुर्मासिक षष्ठ यावत् एकादशम उद्देशक–६४४ ४. उद्घातिक चातुर्मासिक द्वादशम यावत् एकोनविंशतितम उद्देशक–७२४ कुल चातुर्मासिक प्रायश्चित्त-१३६८ कुल प्रायश्चित्त स्थान-१९५२ वर्तमान में इसके बीस उद्देशकों का आकार एवं अर्थाधिकार संक्षेप में इस प्रकार हैउद्देशक सूत्र संख्या
प्रायश्चित्त ५६
गुरुमास लघुमास लघुमास लघुमास लघुमास गुरुचतुर्मास गुरुचातुर्मास गुरुचतुर्मास गुरुचातुर्मास गुरुचतुर्मास गुरुचतुर्मास लघुचतुर्मास लघुचतुर्मास लघुचतुर्मास लघुचतुर्मास लघुचतुर्मास लघुचतुर्मास लघुचतुर्मास लघुचतुर्मास
प्रायश्चित्त दान की प्रक्रिया कुल सूत्र संख्या १४१७
इस प्रकार इसका सम्पूर्ण परिमाण २३७५ अनुष्टुप् श्लोक और २१ अक्षर अथवा कुल ग्रन्थाग्र ७६०२१ अक्षरपरिमाण है। १. निभा. गा. ६४६९-६४७३ (सचूर्णि)