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निसीहज्झयणं ४६. जे भिक्खू बीय-वीणियं करेति,
करेंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः बीजवीणिकां करोति, कुर्वन्तं वा स्वदते।
उद्देशक ५ : सूत्र ४६-५८ ४६. जो भिक्षु बीज से शब्द करता है अथवा
करने वाले का अनुमोदन करता है।
४७. जे भिक्खू हरिय-वीणियं करेति,
करेंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः हरितवीणिकां करोति, कुर्वन्तं वा स्वदते।
४७. जो भिक्षु हरित से शब्द करता है अथवा
करने वाले का अनुमोदन करता है।
४८. जे भिक्खू मुह-वीणियं वाएति, वाएंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः मुखवीणिकां वादयति, वादयन्तं वा स्वदते।
४८. जो भिक्षु मुंह से वीणा बजाता है अथवा
बजाने वाले का अनुमोदन करता है।
४९. जे भिक्खू दंत-वीणियं वाएति,
वाएंतं वा सातिज्जति ।।
यो भिक्षुः दन्तवीणिकां वादयति, ४९. जो भिक्षु दांत से वीणा बजाता है अथवा वादयन्तं वा स्वदते।
बजाने वाले का अनुमोदन करता है।
५०. जे भिक्खू उट्ठ-वीणियं वाएति, यो भिक्षुः ओष्ठवीणिकां वादयति, ५०. जो भिक्षु ओष्ठ से वीणा बजाता है अथवा वाएंतं वा सातिज्जति॥ वादयन्तं वा स्वदते।
बजाने वाले का अनुमोदन करता है।
५१.जे भिक्खू णासा-वीणियं वाएति, वाएंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः नासावीणिकां वादयति, वादयन्तं वा स्वदते।
५१. जो भिक्षु नासिका से वीणा बजाता है
अथवा बजाने वाले का अनुमोदन करता
५२.जे भिक्खू कक्ख-वीणियं वाएति, यो भिक्षुः कक्षवीणिकां वादयति, ५२. जो भिक्षु कांख से वीणा बजाता है अथवा वाएंतं वा सातिज्जति॥ वादयन्तं वा स्वदते।
बजाने वाले का अनुमोदन करता है।
५३. जे भिक्खू हत्थ-वीणियं वाएति,
वाएंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः हस्तवीणिकां वादयति, ५३. जो भिक्षु हाथ से वीणा बजाता है अथवा वादयन्तं वा स्वदते।
बजाने वाले का अनुमोदन करता है।
५४. जे भिक्खू णह-वीणियं वाएति,
वाएंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः नखवीणिकां वादयति, वादयन्तं वा स्वदते।
५४. जो भिक्षु नख से वीणा बजाता है अथवा
बजाने वाले का अनुमोदन करता है।
५५. जे भिक्खू पत्त-वीणियं वाएति,
वाएंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः पत्रवीणिकां वादयति, वादयन्तं वा स्वदते।
५५. जो भिक्षु पत्र से वीणा बजाता है अथवा
बजाने वाले का अनुमोदन करता है।
५६. जे भिक्खू पुप्फ-वीणियं वाएति,
वाएंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः पुष्पवीणिकां वादयति, वादयन्तं वा स्वदते।
५६. जो भिक्षु पुष्प से वीणा बजाता है अथवा __ बजाने वाले का अनुमोदन करता है।
५७. जे भिक्खू फल-वीणियं वाएति,
वाएंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः फलवीणिकां वादयति, ५७. जो भिक्षु फल से वीणा बजाता है अथवा वादयन्तं वा स्वदते।
बजाने वाले का अनुमोदन करता है।
५८. जे भिक्खू बीय-वीणियं वाएति,
वाएंतं वा सातिज्जति॥
यो भिक्षुः बीजवीणिकां वादयति, ५८. जो भिक्षु बीज से वीणा बजाता है अथवा वादयन्तं वा स्वदते।
बजाने वाले का अनुमोदन करता है।