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ज्योतिष एवं गणित १' = १, २ = ८, ३३ = २७, ४ = ६४, ५७ - १२५, ६३ - २१६,............
७. अघनधारा
इस धाराका संख्या समूह अघनात्मक होता है । सर्वधाराकी संख्याओं में से धनधाराकी संख्याओंके घटाने पर अघनधाराकी संख्याएं आती हैं । यथा
२, ३, ४, ५, ६, ७, ९, १०, ११, १२, १३, १४, १५, १६, १७, १८, १९, २०, २१, २२, २३, २४, २५, २६, २८, ६३........"
सर्वधारा- न३ = नअ. ८. कृतिमातका या वर्गमातका
___१, २, ३ आदि संख्याओंकी गणना न पर्यन्त की गयी है । इसका अर्थ यह है कि इसमें कृतिके वर्गमूलके तुल्य संख्याएँ होती हैं । यथा
१, २, ३, ५..........."/न२ =न । ९. अकृतिमातका या अवर्गमातका
इस धाराकी संख्याओंका समूह, इस प्रकारका है, जिसका वर्गमूल करणीगत होता है ।
यथा
मू + १, मू + ३, /मू + २, मू + ५,
मू + न = १०. धनमातका
१, २ से लेकर अन्तिम घन संख्याके घनमूल तक इस धाराकी संख्याओंका विस्तार पाया जाता है । इस धारामें उन सभी संख्याओंका सम्बन्ध पाया जाता है, जिनका धनमूल निःशेष रूपमें निकलता है । यथा
१,२ "न ११. अघनमातका
इस धारामें ऐसी संख्याएँ परिगणित हैं, जिनका धनमूल करणीगत होता है। यथा
३/मू +१ ३ मू+२ ३ मू+३
.............च
१२. द्वि. पवर्गधार