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१५० भारतीय संस्कृतिके विकासमें जैन वाङ्मयका अवदान
८. भाबू' विराट-यह राजा प्रियदर्शिनका जन्म स्थान है। जन्मस्थानके प्रेमसे प्रेरित होकर प्रियदशिनने इस स्थानपर शिलालेख अंकित कराया था।
९. सासाराम-यह सम्राट अशोकका मृत्यु स्थान है। यहाँपर पाषाण खण्डोंपर शिलालेख अंकित कराया गया है। इस लेखमें वीरनिर्वाण संवत् २५६ दिया गया है तथा इस समय प्रियदर्शिनकी अवस्था ३२॥ वर्षको बतायी गयी है।
१०. मास्कि-महाराज अशोकके भाई तिष्य और कुमार कुणालके समान अवन्तिमें रहनेवाले माधवसिंहका यह मरण स्थान है। इसी कारण यहाँपर शिलालेख अंकित कराया है।
११. १२. १३. सिद्धगिरि , ब्रह्मगिरि और चित्तलदुर्ग-महाराज चन्द्रगुप्त, भद्रबाहु स्वामी और कान्त मुनिराजके समाधि-मरणोंको स्मृतिके लिए इन स्थानोंमें लेख अंकित कराये हैं । यहाँ उन तीनोंकी मूर्तियाँ भी वर्तमान हैं।
१४. सोपारा -इस स्थानपर भी किसी मुनिकी समाधि हुई है । यहाँपर चन्द्रगुप्तके साथमें विहार करनेवाले क्षेमंकर नामक मुनिके समाधि ग्रहण करनेका उल्लेख भी मिलता है, अतः इस स्थानपर प्रियदर्शिनने शिलालेख अंकित कराया था।
सम्राट प्रियदर्शिनने जनतामें धर्म प्रचारके लिए शिलालेखोंके अतिरिक्त स्तम्भ और स्तूप भी स्थापित किये तथा स्तम्भोंके ऊपर सिंहको मूर्ति अंकित कर स्तम्भलेख उत्कीर्ण कराये। जिस प्रकार इसने पर्वतोंकी शिलाओंपर शिलालेखोंके लिए निर्वाण स्थान, समाधि स्थान एवं अपने जन्म स्थानको पसन्द किया था उसी प्रकार स्तम्भोंके लिये अन्तिम तीर्थकर भगवान् महावीरके तप स्थान और उपसर्ग स्थानोंको पसन्द किया। स्तम्भ लेखोंमें यह निश्चय करना कठिन है कि सम्राट् सम्प्रतिके स्तम्भ कौन-कौन है; क्योंकि महाराज अशोकने भी ८४०० स्तम्भोंका निर्माण किया था अतः सम्राट् सम्प्रति और सम्राट अशोक इन दोनोंके स्तम्भोंका मिश्रण हो गया है। फिर भी इतना सुनिश्चित है कि जिन स्तम्भों पर सिंहकी मूर्ति है, वे सभी स्तम्भ सम्राट् सम्प्रतिके हैं। इसने अन्तिम तीर्थंकर भगवान् महावीरके लांछन सिंहकी मूत्तिको स्तम्भोंपर स्थापित किया था। इसका अभिप्राय यह था कि सामान्य जनता भी वीरप्रभुका स्मरण उनके लांछन सिंहको देखकर कर सके ।
१. यह स्थान जयपुर राज्यमें है । जिस पत्थरपर यह शिलालेख उत्कीर्ण है, वह आजकल ___कलकत्तेकी बंगाल एशियाटिक सोसाइटीके भवनमें प्रिंसेपकी मूत्तिके सामने सुरक्षित है। २. विहारके शाहाबाद जिले में है । ३. यह स्थान निजाम राज्यके रायचूर जिलेमें है । ४. यह स्थान उत्तर मैसूरके चित्तलदुर्ग जिलेमें है। ५. उत्तर मैसूरके चित्तलदुर्ग जिलेमें यह आजकल है । ६. यह मैसूर राज्यमें है। ७. यह बम्बईके पास थाना जिलेमें है।