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________________ भारतीय पुरातत्व और जैन श्रमण एक और आयागपट पर के लेख में भी श्रमणों (दिगम्बर) का उल्लेख है।76 ऐसे अनेकों वहाँ के पुरातत्वीय उल्लेखों से जैन श्रमणों की सम्माननीय स्थिति की सिद्धि होती (3) अहिच्छेत्र के पुरातत्व : अहिच्छेत्र पर एक समय नागवंशी राजाओं का राज्य था और वे दिगा। जैन धर्मानुयायी थे। वहाँ के कटारी खेडा की खुदाई में डॉ. फुहरर सा. ने एक सभा मन्दिर खुदवाया था। यह मन्दिर ई.पू. प्रथम शताब्दी का अनुमानित है। और यह पार्श्वनाथ का मन्दिर है। इसमें प्राप्त प्रतिमायें सन् 86 से 152 तक की हैं जो कि नग्न हैं। यहाँ एक ईटों का बना हुआ प्राचीन स्तूप भी मिला था, जिसके एक स्तम्भ पर निम्नतः उल्लेख हैं "महाचार्य इन्द्रनन्दि शिष्य पार्श्वयतिस्स कोट्टारी" आचार्य इन्द्रनन्दि उस समय के प्रसिद्ध दिगम्बर श्रमण थे। (4) कौशाम्बी का पुरातत्व : कौशाम्बी का पुरातत्व भी दिगम्बर श्रमणों के अस्तित्व का द्योतक है। वहाँ से कुषाण काल का मथुरा जैसा आयागपट्ट मिला है, जिसे राजा शिवमित्र के राज्य में आर्य शिवनन्दि की शिष्या बड़ी स्थविरा के कहने से शिवपालिता ने अर्हत की पूजा के लिए स्थापित किया था।78 (5) कुहाऊं का गुप्तकालीन पुरातत्व : कुहाऊँ ( गोरखपुर ) से प्राप्त पुरातत्व गुप्तकाल में दिगम्बर श्रमणों की प्रधानता का द्योतक है। वहाँ के पाषाण स्तम्भ में नीचे की ओर जैन तीर्थंकर और साधुओं की नग्न प्रतिमायें है, और उस पर निम्न शिलालेख हैं। "यस्योपस्थान भूमिनपति-शतशिरः पातवातावधूता। गुप्तानां वंशजस्य प्रविसतयशसस्तस्य सर्वोत्तम । राज्ये शक्रोपमस्य क्षितिपः शतपतेः स्कन्द गुप्तस्य शान्तेः । वर्षे त्रिशंददशैकोत्तरक-शत-तमे ज्येष्ठ मासे प्रपन्ने ख्यातेऽस्मिन् ग्राम रत्ने ककुभइति जैन साधु-संसर्ग पुर्ते पुत्रो यस्सोमिलस्य प्रचुर गुणनिधेट्टिसोमो महार्थः तत्सुनू रुदृसोमः पृथुलमतियथा व्याघ्रत्यन्य संज्ञो मद्रस्तस्यात्मजो - मूदद्विज - गुरुयतिषु प्रायशः प्रीतिमान्यः ।। इत्यादि" उपर्युक्त उद्धरण का भाव है कि संवत् 141 में प्रसिद्ध साधुओं के संसर्ग से पवित्र ककुंभ ग्राम में ब्राह्मण गुरु और यतियों के प्रिय मद्र नामक विप्र रहते थे, जिन्होंने पाँच अर्हत-बिम्ब निर्मित कराये थे। इससे स्पष्ट है कि उस समय ककुभ ग्राम में दिगम्बर श्रमणों
SR No.032455
Book TitleJain Shraman Swarup Aur Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogeshchandra Jain
PublisherMukti Prakashan
Publication Year1990
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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