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________________ 290 जैन श्रमण : स्वरूप और समीक्षा शंका - जैसे गृहस्थ चारित्रभेद होने के कारण निर्ग्रन्थ नहीं कहा जाता, वैसे ही पुलाक आदि को भी उत्कृष्ट, मध्यम, जघन्य आदि चारित्र भेद होने पर भी निर्ग्रन्थ नहीं कहना चाहिए? समाधान - (1) जैसे चारित्र व अध्ययन आदि का भेद होने पर भी सभी ब्राह्मणों में जाति की दृष्टि से ब्राह्मण शब्द का प्रयोग समान रूप से होता है, उसी प्रकार पुलाक आदि में भी निर्गन्थ शब्द का प्रयोग हो जाता है। (2) यद्यपि निश्चय नय से गुणहीनों में निर्ग्रन्थ शब्द नहीं प्रवर्तता परन्तु संग्रह और व्यवहार नय की अपेक्षा वहाँ भी उस शब्द का प्रयोग सर्व संग्रहार्थ कर लिया जाता (3) सम्यग्दर्शन और नग्न रूप की अपेक्षा भी वे सब समान हैं। प्रश्न - यदि व्रतों का भंग हो जाने पर भी आप इनमें निर्ग्रन्थ शब्द की वृत्ति मानते हैं, तब तो गृहस्थों में भी इसकी वृत्ति होने का प्रसंग प्राप्त होता है? उत्तर- नहीं होता, क्योंकि वे नग्न रूपधारी नहीं है। प्रश्न- तब जिस किसी में भी नग्न रूप धारी मिथ्यादृष्टि में उसकी वृत्ति का प्रसंग प्राप्त हो जाएगा? उत्तर - नहीं, क्योंकि उनमें सम्यग्दर्शन नहीं पाया जाता (सम्यग्दर्शन युक्त ही नग्न रूप को निर्ग्रन्थ संज्ञा प्राप्त है।) प्रश्न - फिर उसमें पुलाक आदि भेदों का व्यपदेश ही क्यों किया? उत्तर - चारित्र गुण का क्रमिक विकास और क्रमप्रकर्ष दिखलाने के लिए ही इनकी चर्चा की गयी है।29 ___ यदि वकुश और प्रतिसेवना कुशील को भी निर्गन्थ संज्ञा प्राप्त है तो फिर इनको कृष्ण, नील, और कापोत ये तीन लेश्याएँ कैसे हो सकती हैं ?30 उत्तर - उनमें उपकरणों के प्रति आसक्ति भाव की संभावना होने से कदाचित् आर्तध्यान सम्भव है, और आर्तध्यान में कृष्णादि तीनों लेश्याओं का होना सम्भव है।31 पुलाक मुनि जिनका चित्त उत्तर गुणों की भावना से रहित है, और व्रतों में भी क्वचित्कदाचित् परिपूर्णता को प्राप्त नहीं कर पाते हैं, अर्थात् पाँच महाव्रतों में भी दोष लग जाते हैं। बिना शुद्ध हुए धान्य सदृश्य होने से वे पुलाक कहलाते हैं। 2 तथा दूसरों के दबाववश जबर्दस्ती से पाँच मूलगुण और रात्रिभोजन वर्जन में से किसी एक ही की प्रतिसेवना
SR No.032455
Book TitleJain Shraman Swarup Aur Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYogeshchandra Jain
PublisherMukti Prakashan
Publication Year1990
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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