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अब ऊर्ध्वलोक को लीजिये-
ऊर्ध्वलोक नीचे एक राजू, ऊपर बढ़ते-बढ़ते साढ़े दस राजू की ऊंचाई पर पांच राजू और चौदह राजू की ऊंचाई पर एक राजू पैड़ा है। उसमें से मध्य के एक राजू के क्षेत्र को छोड़कर ऊपर से नीचे तक दो समानान्तर रेखायें खींची जायें तो उसमें चार समान त्रिकोण बन जाते हैं । तब उसका आकार इस प्रकार होगा --
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३
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तथा चार त्रिकोणों का आकार इस प्रकार होगा
कर्म
अब इन चारों त्रिकोणों में से एक राजू चौड़े और सात राजू ऊंचे ऊर्ध्वलोक के खंड से १ नंबर वाले त्रिकोण को उलट कर २ नंबर वाले त्रिकोण से मिला दिया जाये और ३ नंबर वाले त्रिकोण को उलट कर ४ नंबर वाले त्रिकोण से मिला दिया जाये तथा बीच के एक राजू चौड़े और सात राजू ऊंचे भाग को जोड़ दें तब ऊर्ध्वलोक की ऊंचाई तो सात राजू होगी लेकिन चौड़ाई तीन राजू हो जायेगी । तब उसका आकार इस प्रकार होगा