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बंधनकरण
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परिशिष्ट
१. नोकषायों में कषायसहचारिता का कारण २. संहनन, संस्थान के दर्शकचित्र ३. बादर और सूक्ष्म नामकर्म का स्पष्टीकरण ४. पर्याप्त-अपर्याप्त नामकर्म का स्पष्टीकरण ५. प्रत्येक, साधारण नामकर्म विषयक ज्ञातव्य ६. सम्यक्त्व, हास्य, रति, पुरुषवेद को शुभप्रकृति मानने
का अभिमत ७. कर्मों के रसविपाक का स्पष्टीकरण ८. गुणस्थानों में बंधयोग्य प्रकृतियों का विवरण
(अ) सम्यक्त्वी के आयुबंध का स्पष्टीकरण ९. शुभ प्रकृतियों का उत्कृष्ट स्थितिबंध होने पर भी एक
स्थानक रसबंध न होने का कारण १०. गुणस्थानों में उदययोग्य प्रकृतियों का विवरण ११. ध्रुवबंधी आदि इकतीस द्वार यंत्र प्रारूप १२. जीव की वीर्यशक्ति का स्पष्टीकरण १३. लोक का घनाकार समीकरण करने की विधि १४. असत्कल्पना द्वारा योगस्थानों का स्पष्टीकरण दर्शक प्रारूप १५. योग संबन्धी प्ररूपणाओं का विवेचन १६. वर्गणाओं के वर्णन का सारांश एवं विशेषावश्यकभाष्यगत
व्याख्या का स्पष्टीकरण १७. नामप्रत्ययस्पर्धक और प्रयोगप्रत्यय स्पर्धक प्ररूपणाओं
का सारांश १८. मोदक के दृष्टान्त द्वारा प्रकृतिबंध आदि चारों अंशों का
स्पष्टीकरण १९. मूल और उत्तर प्रकृतियों में प्रदेशाग्राल्पबहुत्वदर्शक सारिणी २०. रसाविभाग और स्नेहाविभाग के अंतर का स्पष्टीकरण