________________
भगवान आचार्यदेव
श्री लघु अनन्तवीर्य
रचना
आपकी १२००० श्लोकप्रमाण 'प्रमेयरत्नमाला से यह ज्ञात होता है, कि आप स्वयं जानते थे, कि आपके पूर्वमें अनन्तवीर्य आचार्य हुए हैं, क्योंकि श्री प्रभाचन्द्राचार्यदेवने अपने न्यायकुमुदचन्द्रमें सिद्धिविनिश्चयटीकाके रचयिता आचार्य अनन्तवीर्यका स्मरण किया है, व आपने अपनी 'प्रमेयरत्नमाला' में आचार्य प्रभाचन्द्रजीका बहुमानसे स्मरण किया होनेसे यह स्पष्ट है, कि आपके पूर्वमें अनन्तवीर्य आचार्य हुए हैं। अतः 'सिद्धिविनिश्चयटीका' के रचयिता भगवान आचार्य अनन्तवीर्यसे अपनी भिन्नता दर्शानेके लिए आपने स्वयंको ‘लघु अनन्तवीर्य' बताया है।
प्रमेयरत्नमालाके सम्बन्ध विचारमग्न
श्री लघु अनन्तवीर्य आचार्य
(205)