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भगवान आचार्यदेव श्री मानतुंग स्वामी
भक्तिपूर्ण काव्यके सृष्टा कविके रूपमें आचार्य भगवान मानतुंग प्रसिद्ध हैं। आप काशीनिवासी धनदेव ब्राह्मणके पुत्र थे। आपके संबंधमें विशेष कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, फिर भी उपलब्ध जानकारी अनुसार वे प्रथम श्वेताम्बर साधु थे, पश्चात् दिगम्बरी दीक्षा धारण कर ली। आप श्वेताम्बर व दिगम्बर दोनों आम्नायमें सन्मानित हैं।
आपके संबंधमें एक प्रसिद्ध कथानुसार, आप एक बार विहार करते हुए उज्जैन पधारे। आपकी चहुँमुखी प्रतिभासे प्रभावित होकर राजा भोज भी दर्शनके लिए गये। भोजके साथ संस्कृतके
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જયદેવ
श्री मानतुंगाचार्यको राजा भोज द्वारा कालिदासके साथ वाद करनेकी आज्ञा पर मौन देख
बेड़ियाँ बांधकर जेलमें डालनेका आदेश १. कुछेक इतिहासकारों अनुसार आप राजा हर्षके आसपासके कालके आचार्य हैं, ऐसा भी माना जाता है। २. पाठान्तर = धारा नगरी
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