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प्रस्तुति
प्रस्तुत ग्रंथ का सम्पादन तेरापन्थ द्विशताब्दी ईस्वी सन् १९६० के अवसर पर श्रीचन्दजी रामपुरिया ने किया था । तेरापन्थ द्विशताब्दी के अवसर पर आचार्य भिक्षु साहित्य का प्रकाशन किया गया। प्रस्तुत ग्रन्थ का सम्बन्ध आचार्य भिक्षु और जयाचार्य दोनों से है । दृष्टांत आचार्य भिक्षु द्वारा प्रदत्त हैं और उनका एक ग्रन्थ के रूप में गुंफन जयाचार्य ने किया है । जयाचार्य आचार्य भिक्षु के भाष्यकार हैं इसलिए जयाचार्य की निर्वाण शताब्दी के अवसर पर इस ग्रन्थ का पुनः सम्पादन किया गया । द्वितीय संस्करण का संपादन मुनि मधुकर मुनि मोहन 'आमेट' और मुनि महेन्द्र ने किया ।
भिक्षु चेतना वर्ष में एक नई योजना बनी। उसके अनुसार 'तेरापन्थ का राजस्थानी वाङमय' इस शीर्षक वाली ग्रंथमाला की परिकल्पना की गई। प्रस्तुत ग्रंथ उस ग्रंथमाला का आठवां ग्रन्थ है ।
इसके पूर्ववर्ती सात ग्रंथ 'जीवन दर्शन' से संबद्ध हैं
ग्रन्थ १. भिक्खु जस रसायण ग्रन्थ २. भारीमाल चरित्र
ऋषिराय सुयस ऋषिराय पंचढाळियो
जय सुयश
मघवा सुयश ग्रन्थ ३. माणक महिमा डालिम - चरित्र
ग्रन्थ ४. कालूयशोविलास
ग्रन्थ ५. सरदार सुयश
गुलाब सुयश छोगां को छवढाळियो मां वदना
ग्रन्थ ६. सतजुगी चरित्र
म नवरसो हेम चोढाळियो
स्वरूप नवरसो
स्वरूप विलास भीम विलास
मोतीजी रो पंचढाळियो
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