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श्रावक दृष्टांत इम सुण ने राव रुघनाथ रै पिण हीय बैठी।
हिवै तीजे दिन ते गरीब अगरवालौ पुत्र नै गोद लेई कचेड़ी मै जाय बोल्यौं-"राव रुघनाथ ! तुम्हारी लड़की, हमारा लड़का, सगपण करौ" जद स्त्रियां ऊंची बैठी थी, सो वडारणां नै मैलनै डावरा ने बुलाय लियो । पुन्यवंत देखनै तिलक कर सगाई कर, गैहणा कपड़ा पैहराय, पालखी बैसाण नै सीख दीधी । घणा लोक साथै, छड़ीदार सिपाई, दास प्रमुख वृन्द सहित बाजार मै होय भारी महिला मै डेरा कराया लाखो रूपीयां तूंप दीया बाजार मै पालखी जाती देखनै लोक बोल्या-थुक्कमथुक्का, धक्कमधक्का वालो सगपण कर छक्कमछक्का कर आयौ है । इम जाति न्याति सुध हुँतौ तौ सगपण मोटे ठिकाणे हुऔ। भैरूंदास बोल्यो-ज्यूं आप सुद्ध साधपणी पाळी हो सो सर्व आपरै पगां पड़ता दीसै है।