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१. बात करामात बून्दी मै सवाईराम ओस्तवाळ चरचा करतां भीखणजी स्वामी कह्यौगाय भैंस रा महढा आगै घणी चारौ नाख्यां ओगाळौ करै।
जब तेह कहै-मोनै ढांढौ कीयौ । वैराजी थयौ ।
तब स्वामीजी कह्यौ-थे ढांढा थयां म्हारौ ज्ञान चारौ थाय । इम कह्यां राजी थयौ । पछै सवाईराम गुरु कीया ।
* किस्नारपुन एकदा सवाईराम नै भेषधार्यो कह्यौ-म्है तेरापन्थ्यां नैं यूं जाब दिया, यूं जाब दिया, यूं हठाया।
जद सवाईराम बोल्यौ-दोयां रै झगड़ो लागां एक जणै तौ पोता रौ घर किस्नारपुन कियौ । दूजौ कजियो करतो डरै। घर की जाबता करै, ज्यूं तेरापंथी तौ साधपणां री जाबता कर, सो बोलता डरै। थे थांरी घर किस्नारपुन कीयौ। साधपणां री जाबता नहीं। सो मन आवै ज्यूं बोली। इम कही कष्ट कीधौ।
* झूठी चुगली एक दिन चरचा करतां सवाईराम नै भेषधारयां कह्यौ-थे म्हांनै दोषीला कहौ, पिण थांरा गुरा नै पिण किंवारियां रौ दोष लागै छै ।।
जब सवाईराम कह्यौ-एक राजा रौ प्रधान राजा रो माल खात्रै नहीं, और दूजा प्रधान धेषी। सो राजा कनै चुगली खाधी-ए आप रो माल उड़ावै छै । जब राजा दोयां नै भेळा कर पूछ्यौ। तब ते चुगलखोर कहैडावड़ा नै दरबार रा पाना स्याही लेखणा दीधी।। ___ जद प्रधान कह्यौ-पाना स्याही लेखणा तो भणवा नै दीधी छै । ए भणिया राजा रै इज काम आवसी। राजा सुणीने राजी थयो । चुगल फोटो पङ्यौ । चुगल झूठी चाड़ी खाधी, अणहुंतो खूचणो काढ्यौ, ज्यूं थे किंवाड़िया रौ दोष बतावौ सो थे पिण झूठा छो।
२. उपगार ईज कीधौ पाली मैं भीखणजी स्वामी आज्ञा लेइने एक हाट मै ठहर्या । सो...." उण दुकान वाला रै घरे जाय बाई नै कह्यौ-ए काती सुद पूनम तांई जाय ... नहीं।
जद तिण बाई स्वामीजी ने कह्यौ-म्हारी आज्ञा नहीं।