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दृष्टांत : २०७-२०९
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तब वह बोला - " नहीं हो सकते ।"
तब स्वामीजी बोले- - " इसी प्रकार साधु और केवल वेषधारी साधु एक नहीं हो सकते । इतर जाति महाजन कुल में जन्म लेने से ही महाजन हो सकती है । इसी प्रकार 'केवल वेषधारी' साधुओं का सम्यक्त्व और चारित्र में जन्म हो जाने अर्थात् सम्यक्त्व और चारित्र आ जाने पर ही हम एक हो सकते हैं ।
२०७. यह चर्चा बहुत सूक्ष्म है
वेषधारियों के श्रावक बोले - " प्रतिमाधारी श्रावक को शुद्ध दान देने से क्या होता है ?"
तब स्वामीजी बोले - "कोई किसी को सजीव जल पिलाता है और कंद-मूल खिलाता है, उसमें तुम क्या मानते हो ?"
तब वे बोले---"हमें तो प्रतिमाधारी श्रावक के बारे में ही बताओ, दूसरी बात में तो हम नहीं समझते । "
तब स्वामीजी ने दृष्टांत दिया- कोई बोला मुझे चींटी और कुंथुआ दिखाओ । तब उसने पूछा- तुम्हें हाथी दिखाई देता है या नहीं ? तब वह बोला- 'हाथी तो मुझे दिखाई नहीं देता । तब उसने कहा- 'हाथी भी तुम्हें दिखाई नहीं देता, तो चींटी और कुंथुआ कैसे दिखाई देगा ?
" इसी प्रकार किसी को जीव खिलाने में पाप होता है, उसे भी तुम नहीं जानते, तो फिर 'प्रतिमाधारी को अग्रत सेवन कराने में पाप होता है', यह मान्यता तुम्हारे हृदय में कैसे पैठ पाएगी ? यह चर्चा तो बहुत सूक्ष्म है ।"
३०८. पुस्तक और ज्ञान
कुछ लोग कहते हैं - " पुस्तक को जमीन पर नहीं रखना चाहिए और उसकी ओर पीठ कर नहीं बैठना चाहिए। क्योंकि पुस्तक- पन्ने तो ज्ञान है । उसकी आसातना ( अविनय ) नहीं करनी चाहिए ।
तब स्वामीजी बोले --" पुस्तक पन्नों को तुम ज्ञान कहते हो, तो पुस्तक - पन्ने फट गए, तो क्या ज्ञान फट गया ? पुस्तक पन्ने जीर्ण हो गए, तो क्या ज्ञान भी जीर्ण हो गया ? पन्ने उड़ गए, तो क्या ज्ञान भी उड़ गया ? पन्ने जल गए, तो क्या ज्ञान भी जल गया ? पन्ने चुरा लिए गए, तो क्या ज्ञान भी चुरा लिया गया ? पन्ने तो अजीव हैं। और ज्ञान जीव है । अक्षरों का आकार तो पहिचानने के लिए है; जो पन्ने में लिखा हुआ है, उसका बोध ज्ञान होता है, वह आत्मा है और वह अपने पास ही है । पन्ने भिन्न हैं- आत्मा से अन्य हैं ।
२०. पुण्य या मिश्र
अमुक संप्रदाय के साधु गृहस्थों से कहते थे - "भिखारी आदि को अन्न आदि देने पुण्य होता है अथवा मिश्र होता है ।"
में
तब गृहस्थ बोले – “यदि तुम्हारे आहार अधिक आ जाए, तो तुम भिखारी आदि को देते हो या नहीं ?"
तब उन्होंने कहा – “हम तो नहीं देते। ऐसा करना हमारी मर्यादा में नहीं है ।