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भिक्ख दृष्टांत - जद किण ही समझणे पूछ्यौ-अरे थे माहै घाल्यौ कांइ थो। जद रोवतौ बोल्यौ-म्हैं घाल्यौ तौ यो हीज थौ ।
जद ऊ बोल्यौ घाल्यो खात तो गोहूं कठासू नीकलसी ? ज्यूं जीव जिसा पुन्य पाप बांध्या तिसा उदय आवै । विलापात कीयां कांई हुवै ।
२६६. दान-दया उठाय दीधी चेलावास रा जुझारसिंहजी ठाकुर, त्यां कनै रुघनाथजी आय बोल्याम्हारै चेलौ भीखण है सो बकरा बचायां पाप कहै है। दान-दया उठाय दीधी।
जद स्वामीजी आय बोल्या-ठाकरां, कलाल रा घर नौ पांणी साधु नै लेणौ के नहीं।
जद ठाकर बोल्या-कलाल रा घर नौ तौ साधु नै लेणी नहीं।
जद स्वामीजी बोल्या-इणां नै पूछौ ऐ लेवै कै नहीं। जद रुघनाथजी ऊठ नै चालता रह्या।
२६७. झूठौ अर्थ घालणौ कठे ? गंदोच मै रुघनाथजी स्वामीजी सू चरचा करतां आवसगसूत्र काढनै बतायौ । ओ देखौ काउसग भांगनै ई उंदरा नै मिनकी कनां सं छौड़ाय देणौ।
जद स्वामीजी उणारा टोळा माहै थकां सं० १८११ रा साल रौ आवसग काढ बतायो । ओ थारा देखा देख लिख्यौ। तिण मै तौ औ अर्थ कोई मंड्यौ नहीं।
जद रुघनाथजी बोल्या-म्हैं तौ ओर नी देखादेख ओ अथै घाल्यौ है। जद स्वामीजी बोल्याः-इसौ झूठौ अर्थ घालणौ कठे है ?
जद पोतीयाबंधणीयां बोली-म्हारा पात्रा मै ऊन्ही पाणी सो ल्यौ इण मै पांना परहा गाळौ । जद रुघनाथजी नै घणौ कष्ट थयौ । जिन मारग रौ उद्योत थयौ । घणा लोक समज्या।
२६८. मुदै बोल बैठा
स्वामीजी सूं कोइ चरचा करतां मुदै श्रद्धा रा बोल बैठा तो पिण बोल्यो-आप कही सो बात तो ठीक छै । पिण केई बोल पूरा गाह्य मै आवै नहीं । जद स्वामीजी दृष्टांत दीयौ । दस सेर चावलां रौ चरू चला ऊपर चढायां ऊपरला चोखा सीज्या हाथ सूं देख्यां तौ सैणो हुवै ते हेठला पिण सीज्या जाणे अनै मूर्ख हुवै ते जाणे ऊपरला तौ सीज्या पिण हेठे कोरा नहीं