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भिक्षु दृष्टांत २३७. काचरिया रौ अटक्यौ किसी विवाह रहै है ? हेमजी स्वामी दिख्या लेवा त्यार थया, जद किणहि ग्रहस्थ स्वामीजी ने कह्यो-महाराज हेमजी दिख्या लेवा त्यार थया पिण तमाखू रौ व्यसन है ।
जद स्वामीजी बोल्या---काचरियां रौ अटक्यौ किसौ विवाह रहे है ?
२३८. जमारौ एहल ईज गयो पुर मै छाजू खाभीयौ स्वामीजी कनै आय नै 'आबूगढ़ तीर्थ ताजा' आ ढाळ कहिवा लागौ । तिण मै गाथा-आबूगढ़ तीर्थ नहीं जुहार्यो।
तिण ऐहल जमारौ हार्यो। जद स्वामीजी बोल्या-आबूगढ़ थे जुहारयौ के नहीं जुहार्यो ? जद छाजूजी बोल्यो-महाराज ! म्हे तो आबूगढ़ कोई जुहार्यो नहीं । जद स्वामीजी बोल्या-इण लेखै थारौ जमारौ तौ ऐहल ईज गयो। जद छाजूजी बोल्यो-बापजी ! म्हारा गळा मै ईज घाली।
२३९. इसी थारो दया पुर माहै भांनी खाभीयो स्वामीजी कनै आय बोल्यौ-महाराज भीलोड़ा मै दया पाळी । सात रुपीयां रा पकवान मुरमुरीयां आदि हुंता तिण मै सोलह जणा चूकाय गया। कळाकंद बधीयो सो आथण रा दही मै न्हाख सबर-सबर सबोर गया।
___ जद स्वामीजी कह्यौ-तुं कहितौ ई इसो लोळपणी करै है सो खातां किसोयक अनर्थ कीधौ हुवैला।
जद भांनी खाभीयो बोल्यौ--म्हारे साथै वर्ष पांचेक रौ डावरौ थो सो उणनै तौ हाथ पकड़ उठाय दियौ-काले औ कीसौ उपवास करेलौ इम कहि नै । __ जद स्वामीजी बोल्या-थे तो इसौ आहार कीयौ है सो स्त्रीयादिक थी अकार्य ही कर उभौ रहै अनै डावड़ी तो इसौ काम करतो नही । सो तोनें तौ पोख्यो नै उणनै उठाय दियो सो इसौ थारो धर्म नै इसी थांरी दया
२४०. कटार कोई पूणी नहीं है भीखणजी स्वामी रुघनाथजी कनै घर छोड़वा त्यार थया जद स्वामीजी री भूआ बोली-दिख्या लीधी तौ हूं कटारी खायनै मर जासूं ।।
जद घर मैं छतां स्वामीजी बोल्या-पूणी नहीं है सो पेट मै घालै । कटारी घणी करली है सो इसी बात क्यूं कर ।