________________
180
2.
वरंगचरिउ
2
तहि वणि संपत्तिय णिवकुमारि मुहु- मुहु' मणि समरइ वणिवरेंदु रोवइ णिरूद्ध कं वयहि वाल लय गेहु रवण्णउ तहि वणम्मि तहि जाइ वयट्ठिय रायहंसि तहि लिहिउ तूव वणि णंदणासु तहि लेहइ चित्तु णिवद्ध केम हा विहि किं ण करहि एहु संगु
हु विणु णरभउ महु णिरत्थु हा विहि किं ण विहिय तासु मुद्दि हा हा किंण हुइ यतासु दासि इय विविहइ वयणइ लवइ जाम आइवि पच्छइ झंपियइ णित्त ता लिहिउ रूव पुणु पुसिउ तासु जाणिउ वयंसि महु इत्थ पत्त णित्तइ मुवि पफुल्ल वत्तु लिहियउ मंडणु कोऊहलेण
सुपयइणं सरसइ पावहारि । वरतणु णामें अरिणिहयवेंदु | अहरहं सोहा णिज्जिय पवाल । तो मज्झि सिलायलु उज्जलम्मि । इक्कल्लियाइ मुक्किवि वयंसि । जहि मणु णिउ वि णिरुद्धसासु । जो ईसरु अप्पसरू वि जेम । एहु विणु होसइ मज्झु भंगु । जइ पावमि तउ होहमि कयत्थु । तहु करि अच्छंतिय सुयसु भद्दि । तहो णियडइ अच्छंतिय सुवासि । कुडिलग्गु पराइय' वयंसि ताम । दुणिवि दीह' सररुहइ पत्त । पुणु जोइय णियकरपल्लवासु । वुल्लिय हलि मुय - मुय मज्झणित्त' । वुच्चइ सहि किं लिहिउ णिउत्त । पुणु सो भणिउ म° णियकरेण
धत्ता - पुणु सहियइ वुत्तउ, भणहि णिरुत्तउ, कोऊहलि णउ मंडियउ । भणु भणु महु को णरु, जो तुह हिययरु, पइं मणु केण विहंडियउ || २ ||
3
इमं णिणि हलि वयण पभणइ सकामा हले सो वरंगो मया चित्तं चोरो इमं णिसुणि तहु वयण सा झत्ति जाया
णरेंदस्स धीयासु सोहग्ग सामा । समाणेहियालेंगणं लेमि धीरो । तया णिउ ण सहि कुमर णियडहि समाया ।
1. A, K, मुहुं—मुहुं, N, मुहु - मुहुं 2. K, रायहिंसि 3. K, सयसु 4. A, पराइय 5. A, K, N,
दीहइं 6. A, K, N, सररूहइं
7. N, णित 8. A, मइ - मइ