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वरंगचरिउ
173 होगा। मेरे द्वारा तुझको भला जानकर अभयदान दिया जाता है। क्या उसे मन से सुनकर सुप्त पड़ा है? श्रेष्ठी के प्रदेश में आकर तुझे सेवित किया, इस प्रकार क्यों कंपित होकर मरते हो? इस प्रकार वरांग कुमार वचनों को सुनकर घोषणा करता है और उत्तर देकर अपने वाणी को पुष्ट करता है।
रे रे! दुष्ट इन्द्रसेन पुत्र-यह वचनों को निकालना कहाँ पर सीखा है। कुल में जन्म लेकर क्या उन्नति की है। रे रे! दुष्ट नीति के धारक (क्या) पुरुषार्थ को प्राप्त करते हो। मैं वणिपति (वणिक्पति) हूँ, तुम राजा के नंदन (पुत्र) हो, ऐसे हम दोनों युद्ध किया करते हैं, इस स्थान पर बल और पुरुषार्थ को प्राप्त करते हैं। अपने-अपने जीवन (प्राणों) की रक्षा करो, अन्याय के नाश को लिख दिया गया है, अनेकों को भग्न किया है। मेरे वचन शिक्षा है। वणिक असाधारण बल से युक्त है, हाथियों के समूह को क्रोध में रत होकर त्रास (नष्ट) करता है। उपेन्द्रसेन कहता है - और भी वनचरों को यमराज के मुख में लाया था। उसकी कुल एवं जाति कौन बतायेगा? मेरे द्वारा वनवासियों के बल को अपहरण किया गया है, अनेक बार वणिक् समूह को (सई) सदा ताड़ितकर भेजा है। भीलों को मेरे द्वारा नष्ट किया गया है। क्या तुम्हें मेरी भग्न किये हुए की सम्पूर्ण जानकारी नहीं है।
घत्ता-इस प्रकार प्रत्युत्तर देकर उसके उपेन्द्रसेन द्वारा भयंकर बाण छोड़े गये। वे जाकर शत्रुबल को लग गये, वे बाण दुष्ट जीव की तरह नाशकारक थे।
__खंडक-कुमार द्वारा अपनी भुजाओं से निवारण किया गया, जैसे स्वस्तिक को धारण किया हो। फिर भी उसके द्वारा वहां पर अनेकों तीक्ष्ण बाण छोड़ें गये।
19. कुमार उपेन्द्रसेन का वध __उस समय (अवसर) अनेक वीर योद्धाओं के समूह द्वारा कुमार के ऊपर आयुध (अस्त्र-शस्त्र) का व्यूह डाला गया है। कोई तीक्ष्ण भाला (कुंत) मारता है, कोई किसी तरह तीक्ष्ण तलवार से प्रहार करता है, कोई किसी तरह मुद्गर, त्रिशूल, सब्बल, सूल आदि से प्रहार करता है, कोई किसी तरह चक्र और हल आयुध से प्रहार करते हैं, अपने भुजाओं से सभी सामने अस्त्रों को फेंकते हैं। वे प्रहार समूह ऐसे निरर्थक हो गये, जैसे कोई कंजूस के धन को प्राप्त करता है अथवा धर्महीन मनुष्य के द्वारा सब कुछ होने पर भी कृतार्थ नहीं होता है।
पुनः उपेन्द्रसेन स्वयं युद्ध करता है। हाथी पर सवार होकर उसकी (वरांग) की ओर जाता है। वणिपति आकर हाथी को रोकता है, अभिमुख होकर शत्रु हाथी को मोड़ता है, परस्पर युद्ध में