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वरंगचरिउ
पुणु वीराण वीर रणि जुज्झहि केहिवि महिणिवडिय वरसीसइ केहिवि णियडिय धरकर चरणइ
केवि भिडहि किवि महियलि मुज्झहि । केहिवि पयडंतावलि भीसइ । केहिवि पत्त रणंगणि मरणइ ।
घत्ता- तहि अवसरि कुमरु वि वीरवइं रणमंडवि संपत्तउ | घणवारि व सरधोरणिपवरु वरसइ कोहहि रत्तउ । खंडयं- रिउवल तेण वि हंसयं, महिणिवडिय गय हंसयं । हु र पहरहि भिण्णयं, ता अवलोइवि सिण्णयं" । । १६ । ।
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णियभड महि णिवडंत पलोइवि
हि आएरणंगणि धायउ रिउ सहसइं गयंद परियरियउ आइवि पत्तउ जहि वरतणु भडु कडि तोणा जुयलउ संणिहियउ' दाहिणकर असिवर तहि धारिउ कोहमाण - माया पयडंतउ भिडिय परोप्पर ते णिवणंदण पुणु णिय वारणगणु तहि जो उ कुमरिविणिय करिंदु सुपसंसिउ कोहाउर होइवि रिउ अक्खइ किं किं जलणिहि मज्जणु इंछइ कोई सरि डु अण्णाणिउ
इंदसेण तायहो मुह जोइवि । णाम उदुसेणु णिव जायउ । णाम वलाह करिहि सो चडियउ । पेरंतउ णिय वारणवरघडु । वरगुण जुत्त चाउ करि गहियउ । जहि चिरु हरि - करि - णर संहारिउ | करइ जुज्झु सरगणु' अगणंतउ । यि जस कारण किद्धउ भंडण । दारणु कुमरहो उप्परि ढोयउ । भिडिवि तेण करिगणु विद्धंसिउ । जीवइंछ गरलुल्लउ भक्खइ । हउं हरि पइं कुरंगु रणु वंछइ । महु पोरि कें पण वियाणिउ ।
धत्ता - परकज्जि णिरत्थउ मा मरहि जाहि जाहि खलु मूढमइ । कय वय दिणम्मि सीयलु पिवहि जीवण रे रे वणिवइ । ।
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खंडयं - पाविय दुट्ठ दप्पिट्ठयं लज्जा रहियइ धिट्ठयं । पद्मं महु अवस जदा इयं, जणु भणिसइ वणि घाइयं । । १७ ।।
10. N, किहिवि 11. A, K, N, सिंण्णयं 17. 1. A, K, N, संण्णिहियउ 2. A, सरगणुं 3. A, K, N, परोपर 4. A, K, जम 5. A, K, N, करें दु