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वरंगचरिउ
13 एहु पयंपिवि दिण्णु पयाणउ सुहमहुत्ति वरअंग समाणउ। चलिउ सेट्टि णियणयरहो सम्मुह । उज्जल छुह पंकिय जहि हम्मह । उवहिविद्धि णियणयरि पहुत्तउ सोहालंकिय वर तण जुत्तउ। णयरलोउ अहिमुह संपायउ सयल संघु णिय णिय गिहि आयउ। वरतणु सेट्टि भवणि संपत्तउ जाणिवि वणिवरु विणय पसत्तउ । तहि अवसरि वणि कियउ महुच्छउ । जं किज्जइ णियपुत्त सरिच्छउ । दहि दुव्वर कय दीवय लेप्पिणु कंचणमय थालइ घल्लेप्पिणु'। वरतण अग्गइ अग्घुत्तारिउ
वणितिय मंगलु सदुच्चारिउ। वार-वार सुपसंसेवि दिण्णउ भोयणु रिउरससरसु रवण्णउ। इम अच्छंतह वणिवरु वुत्तउ वयणु महारउ सुणहि णिरुत्तउ। हउं पिउ एहु मायए वंधव एहु दबु गिण्हहि गुणसिंधव । एहु हरि एहु गेहु सहु तेरउ इह सुय अच्छहि सुहय जणेरउ।
तुव समाणु णउ पुत्तु महारउ हउं वंछमि सुयसंगु तुहारउ। घत्ता- इय वयणु सुणेविण रायसुउ धम्म पुत्तु वणिवरहो हुउ। . पुज्जाविहाणु णिय णय" सहिउ अच्छंतह सुहयालु गउ ।।१३।।
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दुवई- इत्तहि जणि पहाणु हुउ सुंदरु वरगुण लखणा लउ।
घरि-घरि सो जि णित्तु गाइज्जइ वरतणु सिट्ठि वालउ।। छ।। दिवसिक्कहि वणिवरह पहाणउ वणि गउ सायरविद्धि सयाणउ। तिहि दिट्ठउ' णंदणुवणु केहउ महु भासय इत्थीयणु जेहउ। पुष्फसहिउ तिल-अंजणु रुक्खइ जहि दिइ णासंति सुदुक्खइ। जत्थ पयोहरु मण संतोसइ विवाहर णर पंखिसु पोसइ। छप्पइ चिहुरइ भूरुह सिहरइ पत्तइ परियणु सालंकारइ। कामुक्कोवइ विणु वि पियंगइ पिच्छंतह वंछइ सुपियंगई।
13. 1.N, दिणु 2. K, सम्महं 3. A, K, हम्महं 4. A, वरं 5.N, पसंत्तउ 6. A,K,N, लेपिणु 7. A,
K,N, घल्लेपिणु 8. K, रसु 9.K, वणिवर 10. A,K,N, एह 11.A, नय 14.1. A,K,N, दिठउ 2. A,N,विवाहर 3.A, नर 4.A,K, पिंछतह N, पिच्छतह 5. A,K,N, पियंगई