________________
114
वरंगचरिउ कहि हरिउल णिय कीलाइ रत्त कहि संवर रोज्झइ णियर पत्त। कहि वरहिण सद्दु करंति महुरु तहि काणणि भुल्लउ भमइ कुमरु । वरमग्गु ण पावइ वप्प केम भववणि अण्णाणिउ जीउ जेम। बंधव पियजणणि विउयखीणु हिंडतउ चरणहि' मग्गि रीणु। मुच्छाविउ धाहावंतु केम णिद्दई भुत्तउ मोहंधु जेम। पुणु उहिउ णयण धरंतु वारि० जिणु जिणु सुमरंतउ पावहारि।
अमुणंतु मग्गु "वणि सरइ जाम अत्थायलि पत्तउ भाणु ताम। घत्ता- चउ पहरहि भिण्णउ, अंगु विछिण्णउ, णं रणिसूरू2 वरत्तउ। जो तेउ चिराणउ, मंद पराणउ, पुणु अत्थ वणहि पत्तउ।।२०।।
21 मारणु वि भयावणु रउ कुणंतु पुणु पंचाणणु पत्तउ तुरंतु। लल-ललइ जीहदाढाकरालु लंगूल दीह णिरु हिंसयालु । कूरउ वि दुट्ठ णं पलयकालु सो पिक्खिवि' संकिउ रायबालु। तणु थरहरंतु जीविय भएण वसुमइरुह मरुयइ चडिउ तेण। हाहा विहि कवण अवत्थ दिण्ण कह णयरु महारउ वर रवण्ण। पिक्खहु पिक्खहु कम्महं विवाउ को ण मुणइ भाविय तणउ भाउ। चिंतवइ अण्णु' संभवइ अण्णु मोहंधु ण याणइ पावपुण्णु।
आयरइ पाउ महु होउ सुक्खु णरु ण मुणइ भावि-भविस्सु दुक्खु । विहि मुक्क भवित्ती' जणण दूरि कह जुवरायत्तउ लच्छिभूरि। कह वरकोमलतणु सुललियाउ° मायंग गमणि महु अवलियाउ। कह वंधव सुय ण विउ पत्तु कह छुह कवलिय सउहलय चत्तु | पल्लंक परमउवहाण मुक्कु कीलंतउ णिसि तहि सुह गुरुक्कु। एवहि णिज्जणि तरु उवरि वासु णिसिसमउ भयावणु इत्थु आसु। मयराउ पत्त पुण इह पएसि को करइ महारी वण गएसि। अहवा सप्पुरिसु ण सोउ करमि अरूहरकराइ णियचित्ति धरमि।
6. K, केम्म 7.A,चरणहि 8. K,ट्ठिउ 9. A,धरमु 10.K,वारिं 7.11. A, प्रति में वणि के पूर्व परि शब्द
आया है। 12. K, सूर AN, सूरु .21. 1.A,K, N, पिखिवि 2. K, प्रति में चडिउ के पूर्व य अतिरिक्त है। 3. K,पक्खहु 4. N, अणु
___5. K, N, मुक्खु 6. K, भाविस्स 7. A,सवित्ति 8. A, N, कहं 9. K,सुलंलियाउ 10. A, K,N, चत्त