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वरंगचरिउ
वरविण्णाण-कलागुण-सहिया ___णामें विस्सुसेण तहो दुहिया। अवरुवि अंगदेस विणयंधरु' अच्छि महीवइ कज्ज धुरंधरु। पियकारणिय पुत्ति तहो हूई णं विहिणा कय रइवइ दुई। इय वरअट्ठकण्ण जगिसारहो किज्जइ पाणिग्गहणु कुमारहो। देवसेणमंतिय वयणुल्लउ लग्गउ सवणि महीवइ भल्लउ। इय णिसुणेप्पिणु' महिवइ जंपइ किज्जइ येहु कज्जु लहु संपइ । तो पुरे-पुरि पठ्ठाविय केंकर लेहु समप्पिवि णयण सुहंकर। इक्कु मंति धियसेणहो पेसिउ तेण जाइ धियसेणु णमंसिउ। अक्खइ मंतिउ तुज्झ कुंमारिय दिज्जइ देवकुमारहो सारिय। पभणइ णरवइ एउ जि चंगउ कुमरिह मारिय कुमरवरंगउ। धम्मसेण पुरवरि आइव्वउ सुमहुत्तहि जि विवाहु करिव्वउ । दूउ पल्लट्टिवि' तित्थु जि आयउ धम्मसेणु अच्छइ विक्खायउ। मंडउ इत्यु विचित्तु रइज्जइ कुमरहो करगहणुल्लउ किज्जइ। अवर दूव पठ्ठाविय जिह-जिह कज्जु करेप्पिणु आइय तिह-तिह। जं णरवइ पई वयणु जि कहियउ सयल णरिंदहि तं सद्दहियउ। घत्ता-ता अण्णहि अवसरि, पत्तसुवासरि, मंडउ सोह रवण्णउ । तहि पुरवरि किद्धउ, रयण समद्धिउ, विरइय णाणावण्णउ।। ७।।
8 गेयइज्झुणि णारीयणु णंदिउ णरवइणियमणम्मियाणंदिउ। कुमरवरंग विवाहइं अवसरि रुवें जियसुर' अरिगय केसरि। कवण-कवण उच्छाहु ण जायउ मंगल-रवपूरिय–णह भायउ। पुरिपरियणु णियपुत्ति लएप्पिणु कुमरिविवाहकज्जु मण्णेप्पिणु। धियसेणु' वि णरवइ संपत्तउ णिहणियारि जिणवरपयभत्तउ। अवर वि णिय-णियपुत्ति समाणा अट्ठवि णरवई तित्थु पराणा। वहु किं अक्खमि कय अच्छेरउ हुयउ विवाहु वरंगहो केरउ। अच्छरसरिसरुवणवपरिणिय अवर-इक्क-वणिसुय हुय घरिणिय ।
जे जे णरवइ जित्थु पराविय ते ते णिय-णिय पुरि पट्टाविय। 7. 1. K, घरू 2. A, K, N, हुई 3. A, K, पाणिग्रहणु 4. A, K, णिसुणिपिणु 5. K, हूउ 6. A, K,
पल्लटिवि 7. K, तिछु 8. K, इछु A, इत्थु 9. K, अवसरे 10. K, तहिं। 8. 1. A, K, जियसर 2. K, N, णहयल 3. A, K, N, लएपिणु 4. K, घियसेणुवि 5. K, णरवइ ।