________________
90
वरंगचरिउ
धवलुज्जणु णं उडवइ पयाउ णं धरिउ पयोणिहि वेलभाउ। णं णहयलि लग्गउ सुरविमाणु उत्तुंगु' विउल णं गिरिपमाणु। परिहा-दुस्सम णं सइ य चित्तु सालु विरेहइ आयार चित्तुः । घरि-घरि विलुलिय तोरणह माल घरि-घरि संचिय मोतियपवाल। घरि-घरि कुंकुंम जलच्छडय दिण्ण घरि-घरि गोउर सोहइ रवण्ण। वंकत्तणु जहि तियलोयणेहि __मइलत्तणु णारि–पयोहरेहि । दाडिम-खज्जूरइ-माहुलिंग णारियल-एल-फोफल-लवंग। पुरवाहियालि इय तरुवराई णं पयडिय वम्महु मग्गणाइ। झिंदुय भामिज्जइ णयरि केम दुक्कम्मि भमइ जगि जीउ जेम। णं सुरपुरि महियलि इत्थु आय' जहि णिच्चु वि हुय दुंदुहि णिणाय। जहि जिणवर वरभवणइ गरिठ्ठ णिच्चु जि पणवहि भवियण गरिट्ठ। तहि धम्मसेणु णरवइपहाणु अरिदंतिदलणकेसरिसमाणु। णं मयरद्धउ जगि पयडु जाउ णं पुंजी कउ दयधम्मभाउ। लक्खण-लक्खं किउ गुणसमुद्दु कुसमाल जारणिहणणरउद्दु"। णं दीणाणाहहं कप्परुक्खु अरि-कामिणि हियवइ देइ दुक्खु ।
सुरवरही पहाणउ इंदु जेम ण रवरह पहाणउ राउ तेम। घत्ता- हरिवंसउवण्णउम, विणिहयदुण्णउ भोजणरेंदहु णंदणु।
गुणदेवि-पहाणिय-महिवइ-राणिय पियमणणयणाणंदणु।।4।।
अवरवि मयसेणा' हुय सवत्ति अग्गेसरि हुय सयं तिण्णि पत्ति। संतत्त-कणय-पइचारूगत्त वरसोहालंकिय हरिणणित्त। तहि सुहु भुंजंतह धरणिपालु ण वियाणिउ किंपि वि गलिउ कालु । मयसेणइ जाउ सुसेण पुत्तु कलगुण विण्णाणहि हुयउ धुत्तु। गुणदेविहि पुत्तु वरंगुजाउ परिवद्धिउ णवससि जिम कलाउ। अण्णुवि णंदण-अय चारूवत्त णरवइ-वल्लहियहि हुय वहुत्त। सोहइ गरूयउवि वरंगु कैम णहि ताराणियरहिचंदु जेम।
गय कालहि सोजि जुवाणु जाउ उप्पण्णउ मणिसाणंद भाउ । 4.1.A, K, उत्तंगु 2. K,वित्तु 3.A, नारि 4. A, K, N, णालियर 5.A, K, हिंण्डुय 6 K, इछु 7K, आय 8 A, दुंदुहि K, N, दुदुंहि 9.N,चर 10. K,N तहिं 11. A,रवुहु K,N, रउद्द 12 K,N, सुरवरह 13. A,N, नरवरह 14 K, बण्णउ 15. A, विणिहयं 5. A, K, N, मइसेणा 2. A,K, अग्रेसरि 3. A,K,N, सुखेण 4. K,बिण्णाणहि 5. N, हुयउ 6. K, ज्जुवाणु