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५८. ज्ञानार्णव ६।१७। ५९. उत्तराध्ययन सूत्र २०।३७। ६०. श्रावकाचार 'अमितगति' ४।४६/ ६१. कार्तिकयानुप्रेक्षा १७८। ६२. प्रवचन सार १।२७/ ६३. उवओग लक्खणेणं जीवे। भ.१३।४।४८०। ६४. गुणओ उवओग गुणो ठा. ५।३।५३०। ६५. जीवो उवओग लक्खणो उत्तरा. २८।१०। ६६. नि. चूर्णि ३३३२। यत्रात्मा तत्रोपयोगः यत्रोपयोग स्तन्नात्मा। ६७. उपयुज्यते वस्तु परिच्छेदं व्यापर्यतेजीवोऽनेनेत्युपयोगः। ६८. नवपदार्थ पृ. ६६ अजीव पदार्थ टिप्पणी। ६९. विश्व तत्त्व प्रकाश, पृ. १७४। ७०. वही, पृ. १७५। ७१. तैत्तिरीयोपनिषद् भृगुवल्ली ३।१०। ७२. कठोपनिषद् ३।१३। ७३. मा.उ. ७/ ७४. भग. श. १२ उ. १०। ७५. अध्यात्म तत्त्वालोक पृ. २०। ७६. पाश्चात्य दार्शन, सी.डी. शर्मा। ७७. सर्वार्थ सिद्धि २।१०।१६५/ ७८. भगवती. श. १८ उ. १०। गा. २१९। ७९. भ. श. ९ उ. ३३।२३१-२३३। ८०. वैदिक विचारधारा का वैज्ञानिक आधार। ८१. हिस्ट्री ऑफ फिलोसोफी, पृ. ५५१) ८२. संस्कृत धातु कोष, पृ. ६ ८३. वही पृष्ठ। ८४. निरूक्त (यास्यकृत) ३।१५। ८५. संस्कृत धातु कोष पृ. ६। ८६. कठोपनिषद् २।१।१। शंकरकृत भाष्य में। ८७. प्रमेय रत्नावली १७/
आत्मा की दार्शनिक पृष्ठभूमि : अस्तित्व का मूल्यांकन