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३. अमर भारती (निर्वाण विशेषांक) पृ. १००। ४. भारती दर्शन (डॉ. देवराज) पृ. ४९७। ५. तत्त्वार्थ सूत्र, १०।१। ६. सूत्र कृतांग, १।११।२२। ७. अभिधान राजेन्द्र कोष (खंड ६) पृ. ४३१। ८. वही,
९. सर्वार्थ सिद्धि १।४। १०. वही, ७।१९। ११. तत्त्वार्थ श्लोक वार्तिक १।१।४। १२. सर्वार्थ सिद्धि पृ. १।४। १३. वही, उत्थानिका पृ. १। १४. अमर कोश, वर्ग ५।६। १५. उत्तराध्ययन अ. ६ गा. १०। १६. वही, अ. २८ गा. ३०। १७. वही, अ. १४ गा. ४| १८. वही, अ. १० गा. ३५। १९. वही, अ. १८ गा. २८।। २०. वही, अ. १९ गा. ९७/ २१. वही, अ. २८ गा. ३। २२. वही, अ. ३६ गा. ६८।
वही, अ. १९ गा. ८२। २४. वही, अ. २३ गा. ८१। २५. वही, अ. २९ गा. ४४। २६. वही, अ. २३ गा. ८४। २७. वही, अ. २३ गा. ८३। २८. वही, अ. ९ गा. ५८। २९. बौद्ध धर्म दर्शन पृ. ८| ३०. मज्झिम निकाय १३९। ३१. सूत्र कृतांग १।१।१३। सर्व द्वन्दोपरति भावे।
मोक्ष का स्वरूप : विमर्श
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