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________________ ढाळः ८. दोहा १. मालमसिंहजी मुरड़िया, अजीतसिंहजी पास। सुणी, सुणाई आय कर आ घटना सव्यास'।। २. एक साथ गणनाथजी, दी दीक्षा बाईस। इचरज में अति मगन हो, सुजन झुकावै शीष ।। ३. अनुगामी आनंद रो, आज नहीं अनुमान। प्रतिगामी प्रक्षुब्ध-मन, करै सत्य-संधान।। महिमागर मुनिवर! थारै इण उणिहारै शम-रस बरसा बरसै रे। गुणसागर गुरुवर! निरख-निरंख आस्तिक-नास्तिक सारा जन हरसै रे।। ४. जालोरी दरवाजै जाझै झंड स्यूं रे, पुर में पूज्य पधारै मध्य बजारै रे। महिमागर...। च्यारूं ओर हजारूं मानव-मानिनी रे, ऊंची कंधर कर-कर निजर निहारैरे।। महिमागर...! ५. लड़ालूंब बिन दूषण भूषण लटकता रे, घड़ि इक पहिलो महिला मनुज निहाऱ्या रे। सिर-मुंडन कर तुंड धरी मुखवस्त्रिका रे, धवल वसन सज धर्मध्वज कर धाऱ्या रे।। ६. भाल विशाल निभालो तेरापंथ को रे, तिण कारण जै दीक्षा एकण संगे रे। वर्ष सैकड़ां मांही एहड़ी बातड़ी रे, नयण निभाळी निसुणी कुण किण संघे रे।। १. देखें प. १ सं. १७ २. लय : डालगणी रै पाट विराज्या भान ज्यूं ६४ / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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