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________________ ५/२ अन्तर ढाळ म्हां नै चाकर राखो जी, गिरधारी म्हां नै चाकर राखो जी।। चाकर रहस्यूं, बाग लगास्यूं नित उठ दर्शन पास्यूं। वृंदावन की कुंज गलियन में, गोविन्द लीला गास्यूं।। म्हांनै चाकर राखोजी।। रात रा अमला में होको गहरो गूंजे जी राज ! सरणाट कुचामण बहग्यो, अणमणो देखतो रहग्यो जी। सरपाट कुचामण बहग्यो।। च्यारूं कुंटों में पाणी, आई आपद अणजाणी जी। बह गया हजारूं प्राणी, आ वणगी एक कहाणी जी।। सरणाट कुचामण बहग्यो।। ५/५, ५/१५ सभापति हमें मिले मतिमान। नाम छोगमल, बी.ए.बी.एल. शासन में सम्मान।। सभापति... गंगाशहर चोपड़ा नामी, संघ संघपति के अनुगामी। रखते सबका ध्यान, सभापति हमें मिले मतिमान।। ५/७ मन मोहनगारो म्हारो साधजी। ध्रुव. मुनिवर वहरण पांगुल्या सखि ! लहि सतगुरु आदेश, छठ तणो छै पारणो सखि ! नगरी में कियो परवेश रे। मुनिवर नव जोवन वेश रे, शोभै सिर लुचित केश रे चित लोभ नहीं लवलेश रे, मन मोहनगारो म्हारो साधजी।। अन्तर ढाळ ५/७ पनजी ! मुंढे बोल। बोल-बोल हिवड़े रा जिवड़ा ! कांइ थारी मरजी रे। पनजी !...ध्रुव. म्हें तो म्हारै घर में बैठी, कांकरड़ी कुण मारी रे, २। खड़ी-खड़ी कांकरड़ी लागी, घायल करगी रे।। पनजी !... ५/८ भलो दिन ऊग्यो दरसण पाया म्हे गुरु महाराज रा। परिशिष्ट-३ / ३६१
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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