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________________ ४/१२ म्हारा सतगुरु करत विहार। * मुश्किल जैन मुनी रो मारग वहणो है खाडै री धार। है खांडै की धार, रहणो आजीवन इक सार।। ध्रुव. जंगम स्थावर जीव जगत का आतम सम अवधार। अपराधी नै भी न सतावै महाव्रती अणगार।। मुश्किल... ४/१३ भविकां ! नृप नी बेटी गुण नी पेटी गेह थी रे लोय, बैठी दान नी शाला रे लोय। भविकां ! जे जिम मांगै ते तिम आपै नेह थी रे लोय, बाला परम कृपाला रे लोय।। ४/१४ जुग जीओ म्हारी मूमल ! हालो नी ले चालो जवायां रै देश ।। ध्रुव. काली-काली काजळिये री रेख ज्यूं, काजलिये री रेख ज्यूं। भूरोड़े बादल में चमकै बीजळी, जुग जीओ... सागै वाळा नै डेरा दिराय ओ, कोई हरकी लै जंवायां रा डेरा बादळ महल में। जुग. ४/१५ आई थी पड़ोसण कह गई बात, थारो ए परण्योड़ो परनारी रे जात। नणदल रा वीर हंस बोलो।। ध्रुव. इनै ऊभी गणगोत्या, इनै ऊभा लोग। सेन करूं तो. पिया रस्तो छोड़। सासू सुगणी रा पूत हंस बोलो।। ५/१ . दुनिया राम नाम नै भूली दुनिया झामर झोलै लागी।। ध्रुव. ठाकुरजी पे बेटा मांगै अजिया-सुत रै साटे। अपणा पूत खिलाया चावै, गळा पराया काटै।। हे जी हां... - ५/२, ६/१४ डेरा आछा बाग में रे। * ऊं जय-जय त्रिभुवन अभिनंदन त्रिशलानंदन तीर्थपते ! अयि त्रिशलानंदन तीर्थपते ! अयि कलुषनिकंदन विश्वपते ! ध्रुव. तिमिराच्छादित भुवन में रे, दिव्य दिवाकर-सो उदयो, सरण-सरण निज किरण पसारे, सारे जग जागरण हुयो। निद्रा-घूर्णित जन बोध लह्यो।। ऊं जय-जय... ३६० / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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