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________________ प्रवृत्तियों का पूरा ध्यान रखती और समय-समय पर उसे प्रशिक्षण देती। उसके प्रशिक्षण के सूत्र थे * बेटा! अच्छे बच्चे बनो। * सबके साथ प्रेम से रहो। * किसी की चोरी मत करो। * सदा सत्य बोलो। * बड़ों का विनय करो। * पढ़ाई में मन लगाओ, आदि। लड़के ने कई बार माता की शिक्षा सुनी। अन्य सब बातें तो ठीक, पर सत्य बोलना बड़ी कठिन बात है, यह सोचकर उसने कहा-'मां! तुम्हारी सब बातें मुझे मान्य हैं, पर सच बोलना ठीक नहीं है।' माता ने कहा- 'पुत्र! सांच को आंच नहीं। कुछ भी हो, सत्य पर परदा नहीं डालना चाहिए।' पुत्र बोला-'मां! मैं तुम्हारा अनादर तो नहीं करता, पर इस बात में मुझे संदेह है। यदि मैं सत्य बोलूंगा तो तुम भी मुझे मारने आओगी।' माता ने कहा-'नहीं बेटा! यह कभी हो नहीं सकता।' 'तो मां! मैं अपने मन की बात कह दूं?' पुत्र ने अनुमति मांगी। मां ने अनुमति दी तो पुत्र बोला-'मां! मैं आज तुमसे एक बात पूछना चाहता हूं। तुम और मैं सभी जानते हैं कि मेरे पिताजी को गुजरे कितना समय हो गया है। अब तुम यह शृंगार किस पर करती हो?' अपने पुत्र के ये शब्द सुन मां हाथ में छड़ी लेकर उसको मारने दौड़ी। पुत्र पहले से ही सजग था, वह वहां से भाग गया। काफी देर बाद जब वह लौटा, मां का आवेश समाप्त हो चुका था। उसने उसको संबोधित कर कहा-'मां! तुम मुझे कितना प्यार करती हो। छड़ी तो दूर की बात है, कभी हाथ भी उठाना नहीं चाहती। पर आज सच बोला तो तुम मुझे मारने दौड़ी। 'सत्य बोलने पर मां मारती है,' यह कहावत मुझे एकदम सही जान पड़ती है।' आदर्श की बात तो सभी कर लेते हैं, पर अपने जीवन में उसका प्रयोग कौन करते हैं। . १२. बलुंदा और जैतारण के बारे में आचार्यश्री तुलसी द्वारा कथित दोहे ग्राम बलुंदै तीन घर, श्रावक तेरापंथ भीखम केवल सेठिया और सेठ जसवंत।। जैतारण में जागतो, छल्लाणी परिवार। सचमुच तेरापंथ रो, गौरव धरै अपार।। २७२ / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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