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श्री कालू- जन्मशताब्दी रो सुंदर अवसर आयो सम्मुख, श्री कालू-जीवन-झांकी रो संगान करै जन-जन मुख-मुख । अति उत्तम ओ आयास हुयो कालू- कृपया अभिलाष फळी, सामूहिक पारायण में भी श्रोतां री खिलती कळी - कळी ।।
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तेतीसै ओ सरदारशहर अति मूंघामोलो चौमासो, गोठीजी रो सुविशाल हाल सब ऋतुवां में सुख रो वासो । चौतीस श्रमण चालीस च्यार श्रमणी निशदिन गुरु-चरण-शरण, शोभै जनता स्यूं हर्यो भयो प्रवचन - मण्डप 'श्रीसमवसरण' ।।
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श्रावण बिद सातम शांत तिथी उल्लास समूचे शासण में, श्री कालूयशोविलास - कथा जन-जन मन-मन संभाषण में । उल्लास षट्क सोलह-सोलह ढाळां सब सोळह छक छिनमें, है पांच शिखा री पांच ढाळ इक सौ इक समरूं छिन छिन में ।
भैक्षवगण- गगनांगणे, ले रविशशी प्रकाश । आलोकित प्रतिपल रहे, कालूयशोविलास । ।
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‘विश्वभारती' भारती, आगम- अनुसंधान । अणुव्रत आंदोलन समन, कालू - कृपा महान ।।
२५६ / कालूयशोविलास-२