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________________ ५ श्री कालू- जन्मशताब्दी रो सुंदर अवसर आयो सम्मुख, श्री कालू-जीवन-झांकी रो संगान करै जन-जन मुख-मुख । अति उत्तम ओ आयास हुयो कालू- कृपया अभिलाष फळी, सामूहिक पारायण में भी श्रोतां री खिलती कळी - कळी ।। ६ तेतीसै ओ सरदारशहर अति मूंघामोलो चौमासो, गोठीजी रो सुविशाल हाल सब ऋतुवां में सुख रो वासो । चौतीस श्रमण चालीस च्यार श्रमणी निशदिन गुरु-चरण-शरण, शोभै जनता स्यूं हर्यो भयो प्रवचन - मण्डप 'श्रीसमवसरण' ।। ७ श्रावण बिद सातम शांत तिथी उल्लास समूचे शासण में, श्री कालूयशोविलास - कथा जन-जन मन-मन संभाषण में । उल्लास षट्क सोलह-सोलह ढाळां सब सोळह छक छिनमें, है पांच शिखा री पांच ढाळ इक सौ इक समरूं छिन छिन में । भैक्षवगण- गगनांगणे, ले रविशशी प्रकाश । आलोकित प्रतिपल रहे, कालूयशोविलास । । ६ ‘विश्वभारती' भारती, आगम- अनुसंधान । अणुव्रत आंदोलन समन, कालू - कृपा महान ।। २५६ / कालूयशोविलास-२
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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