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________________ दोहा २६. विश्वासी गुरुदेव रा, गुरु-बरतारे देख। संघ-सेवकां रा करूं, कतिपय नामोल्लेख ।। ३०. गायक जती हुलासजी, लेखक रचनाकार। सेवक शासण रो सदा, रह्यो स्व जीवन वार' ।। ३१. रामधीन-रूपां जती-जतणी जंपति-रूप। शासण री सेवा करी, कालू कृपा-स्वरूप ।। ३२. अवसर री सेवा सझी, नेमनाथजी सिद्ध। अतुल कला शास्त्रार्थ री, कालू कृपा समृद्ध ।। ३३. नाजिम वृद्धीचंदजी, कालू-पद अनुरक्त । जीवन भर सरखा रह्या, तेरापथ रा भक्त ।। ३४. श्रुत-मर्मज्ञ गणेशजी-मथेरण मतिमान। जयाचार्य स्यूं शेष तक, शासण-भक्त महान ।। ३५. अंतरंग गुरुदेव रा, अंतेवासी जाण। श्रावक मोलकचंदजी, बैंगाणी बीदाण ।। ३६. इकरंगो गुरु-चरण-रत, खरो टको कलदार। प्रहरी बण सेवा करी, नारसिंह नर-ना'र ।। ३७. दूगड़ मोतीलालजी, वास शहर सरदार। ___अंतेवासी सुगुरु रा, शांतवृत्ति सुखकार ।। ३८. बंगला रा सावणसुखा, चंदनमलजी नाम । अरु गुलाबजी सुगुरुपद-सेवा की निष्काम।। 'श्री कालू गुरुदेव रा जीवन संस्मरण सुणाऊं रे पाऊं परम प्रसन्नता। ३६. गोठीजी री नियमनिष्ठता तत्त्वनिपुणता भारी रे, स्वीकारी श्रीलालजी। १-७. देखें प. १ सं. १३८-१४४ ८. फाजिल्का ६. लय : तेजा शिखा-४ / २४७
SR No.032430
Book TitleKaluyashovilas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
PublisherAadarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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