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११. सही बात बिल्कुल सही रे, भ्रात-युगल गणभक्त।
पर लौकिक व्यवहार भी रे, पडै देखणो व्यक्त।। १२. गहराई स्यूं नहिं लियो रे, जो आमय मधुमेह। . बही भूल भारी बही रे, संत सदेह विदेह ।। १३. बिखरी पुर-पुर बातड़ी रे, सुण-सुण आवै लोक। ____ गधिया बिरधीचंदजी' रे, हुलस्या गुरुपद धोक।। १४. ईशरचंदजी चौपड़ा रे बैंगाणी बीदाण__हणूत श्रावक-श्राविका रे, भेट्या गणनभ-भाण।। १५. भादाणी डूंगरगढ़ी रे, मोहन वसुगढ़ बैद।
कनक-सूर्यमल-चौधरी रे, आया चाल अखेद। १६. मगन भाई अरु रुक्मणी रे, बोम्बे स्यूं चल आय।
और सैकड़ां ही मिल्या रे, मुश्किल नाम गिणाय।। १७. देखी गुरु-तन-खिन्नता रे, सारां रो मन म्लान।
भावै अन्तर-भावना रे, स्वास्थ्य वरै भगवान।। १८. अश्विनि बाबू एकदा रे, मगन अकेला देख।
दिलगीरी दिल ल्यावतो रे, खींचै भावी रेख।। १६. सुणो मगन स्वामी! कहूं रे, कहणी जदपि अयोग।
दुःसंभव गुरुदेव रो रे, होवै अंग अरोग।। २०. मगन कहै-हां ठीक है रे, पण मत करजे बात।
लेणै स्यूं देणो पड़े रे, सारां मन आघात।। २१. सुणली ईशरचंदजी रे, ज्यूं-त्यूं आ आवाज।
हुआ अश्विनी ऊपरै रे, सेठ सख्त नाराज।। २२. इणनै डाक्टर कुण कर्यो रे, बिल्कुल अनुभवहीन।
परम पूज्य खातिर कहै रे, बात किती संगीन।। २३. स्वास्थ्य-लाभ कर पूज्यजी रे, करसी गण-संभाल ।
हरसी भ्रम संसार रो रे, शासन-भाल विशाल ।।
१. सरदारशहर-निवासी २. गंगाशहर-निवासी ३. देखें प. १ सं. ४६ ४. हरखचंदजी भादाणी (डूंगरगढ़) ५. बड़नगर-निवासी
उ.५, ढा.१६ / १६६