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१०. भीतर रस्सी फेल्यां जावै, द्रुतगति दीनानाथ!
स्यात पोईजन रो मन भय है, संशयवाची स्यात।। ११. मगन मुनी अनुभव में आणी, सारी स्थिति साक्षात।
आज अभी ऑप्रेशन करणो, निर्णय लियो सनाथ ।। १२. लेखण-छेकणवाळो चक्कू लियो चौथ मुनि हाथ। ____ डॉक्टर दोन्यू आगै ऊभा, प्रगट दिखावै पाथ।। १३. वाम हाथ हत्थेली पीठे, चक्कू रो आघात।
एक इंच ऊंडो एकम दिन, बिद अषाढ़ री बात।। १४. पीप-पिचरकी चली छलकती, राळो काळो काथ।
सहनशीलता देख सुगुरु की, स्तब्ध रह्यो सहु साथ।। १५. पींच पींचकर खींच खींचकर, बण निघृण-निष्णात।
पीप निकाळ्यो घाव उजाळ्यो, मगन रु कुन्दन-भ्रात।। १६. पट्टी बांधी गोज रोझकर, सूझबूझ रै साथ।
डाक्टर चित्रित संत समेट्यो सब कुछ हाथोहाथ।। १७. संघ-ख्यात में स्वयं खतीजी, मंडपियै री ख्यात।
एक नयो इतिहास बण्यो है, जुग-जुग रहसी ज्ञात।। १८. भीलवाडै अब भलै दिहाड़े, आया पूज्य प्रख्यात।
भक्त मदन डाक्टर नंदा की रंजी सातूं धात।। १६. सरकारी शिक्षालय स्वामी, निवसै निर्व्याघात।
सहै वेदना शांत भाव स्यूं, आंतर है अवदात।। २०. प्रतिदिन मुनिजन पट्टी बदले, सायं और प्रभात। ___करै घाव नै लोशन-मिश्रित उष्णोदक स्यूं स्नात।। २१. चूंथ-चूंथ चूंथी स्यूं चिथड़ा, काढ़े संत सुजात।
ज्यूं सद्गुरु समकित रै स्हारै, काटै गूढ़ मिथ्यात।। २२. सेवाभावी मुनिवर-श्रमण्यां, खड्या रहै दिन-रात।
साफ-सफाई राखण तांई, दै नरसां नै मात।। २३. पंचम उल्लासे सोल्लासे, पनरमि ढाळ उदात।
श्री गुरुवर रो गौरव गातां, पातक प्रलय प्रयात।।
१. मुनि चौथमलजी
उ.५, ढा.१५ / १६७